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राजनाथ ने उत्तरी और पूर्वी सीमा क्षेत्रों में बीआरओ द्वारा निर्मित 12 सड़कों को राष्ट्र को समर्पित किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने असम के लखीमपुर में किमिन-पोटिन रोड का उद्घाटन किया। यह उद्घाटन कार्यक्रम बिलगढ़ में हुआ. सीमा सड़क संगठन द्वारा निर्मित डबल-लेन 20 किमी रोड अरुणाचल प्रदेश में प्रस्तावित औद्योगिक बेल्ट की स्थापना की सुविधा प्रदान करेगी। ये रोड असम से निचले सुबनसिरी जिले के लिए मुख्य धमनी के रूप में भी काम करेगी।

राजनाथ सिंह ने सड़क परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए कहा, “दो दिन पहले ही गलवान घाटी में हुई घटना को एक साल बीते हैं। हमारे जवानों ने जिस शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए अपनी शहादत दी और भारत की सीमाओं की रक्षा की उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “पूर्वोत्तर का रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्व है, इसका भूगोल बेजोड़ है. ये सड़कें विकास के साथ-साथ सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।”

राजनाथ सिंह ने देश के दूरस्थ सीमावर्ती क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान के लिए, विशेष रूप से कोविड-19 प्रतिबंधों के बीच, बीआरओ की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज जिन सड़कों का उद्घाटन किया गया है, वे सामरिक और सामाजिक-आर्थिक महत्व रखती हैं क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि ये सड़कें हमारे सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने और दवाओं और राशन जैसी जरूरतों को दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने में मददगार साबित होंगी।

रक्षा मंत्री ने कहा कि ये सड़क परियोजनाएं सरकार की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का हिस्सा हैं जिसमें सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने पूर्वोत्तर के विकास के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के संकल्प को दोहराते हुए इस क्षेत्र को न केवल देश के समग्र विकास का बल्कि पूर्वी एशियाई देशों के साथ राष्ट्र के संबंधों का प्रवेश द्वार भी बताया।

राजनाथ सिंह ने पिछले वर्ष गलवान घाटी की घटना के दौरान अनुकरणीय साहस दिखाने वाले और राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है लेकिन आक्रामकता के प्रति उसकी प्रतिक्रिया दृढ़तापूर्ण रही है।

रक्षा मंत्री ने सरकार द्वारा किए गए कुछ बड़े सुधारों का ज़िक्र भी किया, जिनमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति, रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उपाय और आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) का निगमीकरण करने जैसे कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते समय में यह सुधार सैन्य तैयारियों में गेम चेंजर साबित हो रहे हैं।

राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत भारत को रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हम भारत को रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता से आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी, निर्यात बढ़ेगा और हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।