कोरोना से ठीक हुए मरीज़ो में नई बीमारी “बोन डेथ” के मामले सामने आए
कोरोना से ठीक हुए मरीज़ो में ब्लैक फंगस का खतरा रहता है लेकिन अब बोन डेथ जैसी बीमारी के मामले भी सामने आ रहे है, जिससे चिंता पैदा हो रही है। यह मामले मुंबई में 3 मरीज़ो में पाया गया है। जो कोरोना से ठीक हुए थे।
बोन डेथ को डॉक्टरी भाषा में एवैस्कुलर नेकरोसिस कहते है। एवैस्कुलर नेकरोसिस हड्डियों के ऊतको को मरने लगता है। ऐसी अवस्था में ऊतक में रक्त नहीं पहुंच पता है। इससे ऑस्टियोनेक्रोसिस भी कहते है।
इस बीमारी में हड्डिया घिसने लगती और खत्म होने लग जाती है। हड्डिया घिसने से उस हिस्से में रक्त नहीं जा पाता। यह बीमारी किसी को भी 30-60 साल के लोगो में हों सकतीं है।
आईसीएमआर यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि “ये पहले से पता है कि कोविड मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग यानी खून का थक्का जमने का खतरा रहता है। अगर खून की सप्लाई नहीं होगी, तो एवैस्कुलर नेक्रोसिस हो सकता है. इसलिए जो भी कोविड के सीरियस मरीज हॉस्पिटल में भर्ती होते हैं उन्हें ब्लड थिनर दिया जाता है।”
स्वास्थ्य मंत्रालय के पास इस नई बीमारी का कोई डाटा नहीं है।
मुंबई में 3 नए मरीज़ो को बोन डेथ बीमारी से अस्पताल में भर्ती कराया है। 40 साल से कम उम्र वाले ये तीन मरीज़ इस बीमारी के बीच जूझ रहे है।
बताया जा रहा है कि तीनों मरीज़ डॉक्टर थे और उनमे सबसे पहले हड्डी की जांच हुई क्यूँकि उनको हड्डी में दर्द हो रहा था।
महाराष्ट्र में कोरोना के खिलाफ बनाई गई कार्यदल में शामिल डॉक्टर राहुल पंडित ने कहा कि “इस बीमारी के लक्षणों पर सरकार लगातार नजर बनाए हुए है।”
उन्होंने कहा कि “स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल से इस बीमारी का खतरा बढ़ा रहा है और हालात पर हमारी नजर है।”