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क्या आपने कभी खाया है 2 किलो का एक ‘गलफार रसगुल्ला’?

आपने रसगुल्ले तो कई बार खाएं होंगे, लेकिन क्या आपने कभी एक या दो किलो का रसगुल्ला खाया है। अगर नहीं खाया तो आज हम आपको ऐसे रसगुल्ले के बारे में बताने वाले जो 2 किलो का होता है।

बिहार के गया में वर्षों से 50 ग्राम से लेकर दो किलोग्राम तक के रसगुल्ले बना कर बेचे जा रहे हैं, इस रसगुल्ले का स्वाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू यादव समेत कई बड़े नेता भी चख चुके हैं।

गया के पंचानपुर में पंडितजी का ‘गलफार रसगुल्ला’ बेहद लोकप्रिय है। यह मिठाई की दुकान करीब 52 सालों से चल रही है। रसगुल्ले खाने के शौकीन दूर-दूर से यहाँ आते हैं।

गलफार रसगुल्ला बनाने की शुरुआत

वर्ष 1969 में रामचंद्र मिश्र ने यह दुकान खोली थी, उसके बाद आज उनके चार पुत्रों ने इसकी जिम्मेदारी संभाल रखी है। रामचंद्र मिश्र के पुत्र अनिल मिश्र ने मीडिया को बताया कि जब उनके पिता रामचंद्र मिश्र दुकान चलाते थे तो उनके एक दोस्त शिवशंकर पांडेय दारोगा उनके दुकान पर आया करते थे। जब वह बाहर किसी रिश्तेदार के यहां या किसी बड़े अधिकारी से मिलने के लिए जाते थे तो यहीं से मिठाई खरीदकर ले जाया करते थे। उस समय 18 किलोमीटर दूर तक कोई मिठाई की दुकान नहीं थी, उन्होंने ही यह आइडिया दिया कि रसगुल्ला तो सभी जगहों पर मिलता है लेकिन सबसे बड़ा रसगुल्ला बनाकर दीजिए। उसके बाद से ही यहां बड़े साइज में रसगुल्ला बनाये जाने लगे ।

अनिल मिश्र ने बताया कि उनके पिता के समय से ही 50 ग्राम से लेकर दो किलोग्राम तक का एक रसगुल्ला बिक रहा है। पिता द्वारा बताए गए तरीके से आज भी उसी स्वाद के साथ रसगुल्ला बनाया जाता है और शुद्धता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है।

डेढ़ से दो किलोग्राम का रसगुल्ला बनाने में करीब तीन-चार घंटे का समय लगता है। ग्राहक दो किलोग्राम वाले बड़े साइज का रसगुल्ला खुद के खाने के लिए नहीं बल्कि रिश्तेदारों व परिजनों को गिफ्ट देने के लिए ले जाते हैं।