प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को द्वारा धोलावीरा को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की
यूनेस्को की ओर से भारत की एक और धरोहर को सम्मान मिला है। यूनेस्को ने मंगलवार को गुजरात स्थित धोलावीरा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है। यह फैसला वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी ऑफ यूनेस्को के 44वें सत्र के दौरान लिया गया।
जानकारी के लिए बता दें कि धोलावीरा में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष पाए जाते हैं, जो दुनिया भर में अपनी अनूठी विरासत के तौर पर मशहूर हैं। धोलावीरा गुजरात में कच्छ प्रदेश के खडीर में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जो लगभग पांच हजार साल पहले विश्व का प्राचीन महानगर था।
हड़प्पा सभ्यता के पुरास्थलों में एक नवीन कड़ी के रूप में जुड़ने वाला पुरास्थल धौलावीरा ‘कच्छ के रण’ के मध्य स्थित द्वीप ‘खडीर’ में स्थित है।
इस सेशन में पहले तेलंगाना के मंदिर रुद्रेश्वर को विश्व के धरोहरों की सूची में शामिल किया गया था, जिसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
काकतिया रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर को 25 जुलाई को विश्व धरोहर के शिलालेख में अंकित किया गया, जबकि सिंधु घाटी सभ्यता का एक विशाल स्थल धोलीवारा को आज शामिल किया गया है। यूनेस्को द्वारा जारी आधिकारिक बयान में यह कहा गया है कि भारत में विश्व धरोहर स्थल की संख्या बढ़कर 40 हो गई है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में धोलावीरा शामिल किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुशी जाहिर की है। उन्होंने धोलावीरा की कुछ तस्वीरों को ट्वीट करते हुए कहा,”इस खबर से बहुत खुशी हुई। धोलावीरा एक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र था और हमारे अतीत के साथ हमारे सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है। यहां पर विशेष रूप से इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व में रुचि रखने वाले अवश्य यात्रा करें।
पीएम मोदी ने लिखा, “मैं अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार धोलावीरा गया था और उस जगह से मंत्रमुग्ध हो गया था। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, मुझे धोलावीरा में विरासत संरक्षण और जीर्णोद्धार से संबंधित पहलुओं पर काम करने का अवसर मिला। हमारी टीम ने वहां पर्यटन के अनुकूल बुनियादी ढांचा बनाने के लिए भी काम किया था।”