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सावन में शिवजी का अत्यधिक प्रिय शिवरात्रि मोहत्सव, जानिए आज के दिन का महत्व

25 जुलाई से सावन मास लग गया है। आज सावन का सबसे बड़ा दिन शिवरात्रि है। हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा- अर्चना की जाती है। कुंवारी कन्या अच्छे वर के लिए शिव जी से प्रार्थना करती हैं। आज के दिन श्रद्धालु शिवजी का व्रत करते है।

शिवरात्रि की कथा

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सती का पुनर्जन्म, माता पार्वती के रूप में हुआ था। माता पार्वती चाहती थीं कि वो शिवजी को पति के रूप में प्राप्त करें। ऐसे में माता पार्वती ने शुरुआत में अपने सौंदर्य से शिवजी को रिझाने की कोशिश की। लेकिन इसमें वो सफल नहीं हो पाईं। इसके बाद माता पार्वती ने त्रियुगी नारायण से 5 किलोमीटर दूर गौरीकुंड में कठिन ध्यान और साधना कर शिवजी का मन जीता। फिर इसी दिन शिवजी और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। कहा जाता है कि माता पार्वती के लास्यनृत्य और भगवान शिव के तांडव के समन्वय से ही सृष्टि में संतुलन बना हुआ है।

सावन मास की चतुर्दशी तिथि 06 अगस्त की शाम 06 बजकर 28 मिनट से आरंभ होगी। जो कि अगले दिन 07 अगस्त की शाम 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, सावन शिवरात्रि का पूजन निशिता काल में उत्तम माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, निशिता काल 07 अगस्त की रात 12 बजकर 06 मिनट से शुरू होकर 07 अगस्त की रात 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। पूजा की अवधि 43 मिनट की है।

व्रत में क्या खाना चाहिए ?

व्रत में अनाज नहीं खाते है यानि फलहार खाना होता है। व्रत में आप कुट्टू, सिंघाड़ा, साबूदाना, फल ,मिठाइयां , मेवा खा सकते हो।