पेगासस जासूसी मामले पर ममता दीदी की सियासत
पेगासस जासूसी कांड को लेकर केंद्र सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है। पेगासस जासूसी मामले पर सड़क से लेकर संसद तक सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल रखा है और लगातार जांच की मांग कर रही है। अब इसी मुद्दे को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सियासत शुरू कर दी है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पिछले महीने दिल्ली जाने से पहले कथित पेगासस जासूसी कांड की जांच के लिए आयोग गठित करने की घोषणा की थी। कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट व उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीशों का यह आयोग जांच शुरू करेगा।
दैनिक जागरण के अनुसार बंगाल के कई पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि इस राज्य में नेताओं की जासूसी व फोन टैपिंग करने का कोई भी आरोप अब तक साबित नहीं हुआ है। यहां तक कि पूर्व पुलिस महानिदेशक, मुख्य और गृह सचिवों ने भी कहा कि राज्य में समय समय पर राजनीतिक जासूसी के आरोप लगते रहे हैं। ममता बनर्जी भी बार-बार फोन टैपिंग के आरोप लगाती रही हैं, हालांकि अब तक इनमें से एक भी मामला तार्किक अंजाम तक नहीं पंहुचा है।
बता दें कि साल 2011 में बंगाल की सत्ता में ममता बनर्जी के आने के बाद वाम शासन में फोन टैपिंग के आरोपों में इसी तरह की जांच करने के आदेश दिया था। किन्तु उनकी फोन टैपिंग से जुड़े एक भी सबूत और न ही आयोग की रिपोर्ट आज तक सामने आई है।
बता दें कि ममता बनर्जी पर भी विपक्षी दलों के नेताओं व पत्रकारों के फोन टैप कराने के आरोप लगते रहे हैं। कुछ समय पहले तृणमूल में शामिल हुए वरिष्ठ नेता मुकुल राय जब भाजपा में थें तब उन्होंने कई बार ममता सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया था। ऐसे में ये आने वाला वक़्त ही बताएगा की पेगासस मामले में ममता की जांच आयोग वाली सियासत कितनी सफल होती है।
क्या है पेगासस जासूसी कांड
पेगासस जासूसी कांड का खुलासा संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत के ठीक एक दिन पहले हुआ। आरोप यह है कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर के द्वारा भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए गए है । इनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर समेत कई पत्रकार भी शामिल हैं।