कुंवारी लड़कियों के लिए खास है हरियाली तीज!
हर साल हरियाली तीज सावन माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखकर सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
हरियाली तीज पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है। इस व्रत को निर्जला व्रत भी कहते हैं। हरियाली तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। ये व्रत दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सावन के महीने का ये विशेष पर्व है, जो सुहागिन स्त्रियों को समर्पित है।
महिलाओ के मायके से तीज का त्योहार आता है। इस त्योहार में घेवर की मिठाई एक अहम हिस्सा है। बिना घेवर के त्योहार पूरा नहीं होता है।तीज के दौरान दी जाने वाली अन्य लोकप्रिय मिठाइयां बालूशाही, शक्कर पारा और जलेबी हैं। इसमें महिलाए मेहंदी लगवाती है, नई चूडिया पहनती है। महिलाएं हरे रंग की साड़ी पहनती हैं और हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं।
सावन में दो तीज मनाइ जाती हैं। वे हैं कजरी तीज और हरतालिका तीज। कुंवारी युवतियां अपने मन चाहे वर की प्राप्ति के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि को ही भगवान शिव और माता पार्वती का दोबारा मिलन हुआ था, इसलिए हरियाली तीज का महत्व अत्यधिक है।
इस दिन व्रती व्रत रखती हैं और माता पार्वती की आराधना भगवान शिव और गणेश जी के साथ करती हैं। इस दिन कई स्थानों पर युवतियां झूले भी झूलती हैं।