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यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह का निधन, 89 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह का निधन हो गया। उनका लंबे समये से इलाज चल रहा था। एसजीपीजीआई में उन्होंने आखिरी सांस ली। वे 89 साल के थे। वे दो बार यूपी के सीएम रहे और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे। वे ऐसे नेता थे जिन्होंने बीजेपी को हाशिए से फलक तक पहुंचाने का काम किया। जब से कल्याण सिंह अस्पताल में भर्ती से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कई बार उनसे मुलाकात की थी। इसके अलावा बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं ने भी अस्पताल जाकर उनका हाल चाल जाना था।

कल्याण सिंह का सियासी सफर

कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को हुआ था।

1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

कल्याण सिंह दूसरी बार 1997-99 दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।

उत्तर प्रदेश के राजनीति में हिन्दुत्व के चेहरे थे कल्याण सिंह।

इनके मुख्यमंत्री रहते 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वस की घटना हुयी थी. घटना के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।

2009 में समाजवादी पार्टी ज्वाइन की थी।

26 अगस्त 2014 को राजस्थान के राज्पाल बने थे।

1999 में बीजेपी छोड़ दी, 2004 में दोबारा बीजेपी ज्वाइन की।

2004 में बुलंदशहर से बीजेपी से सांसद बने. 2009 में एटा से निर्दलीय सांसद बने।

2010 में कल्याण सिंह ने अपनी पार्टी बनाई जन क्रांति पार्टी।

उत्तर प्रदेश के अतरौलि विधानसभा से कई बार विघायक रहे कल्याण सिंह।

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के निवर्तमान राज्यपाल व हम सभी कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शक व प्रेरणास्रोत आदरणीय श्री कल्याण सिंह ‘बाबूजी’ जी के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि. उनका निधन भारतीय राजनीति एवं भाजपा के लिए अपूरणीय क्षति है।”

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ट्वीट करते हुए कहा, “कल्याण सिंह जी के निधन से आज हमने एक ऐसा विराट व्यक्तित्व खो दिया जिसने अपने राजनीतिक कौशल, प्रशासकीय अनुभव और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण से राष्ट्रीय स्तर पर एक अमिट छाप छोड़ी. वे वंचित वर्ग के उत्थान और सभी वर्गों के कल्याण को समर्पित रहे. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें. अपनी सहजता व सरलता के कारण वे जनता में लोकप्रिय थे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने प्रदेश के विकास को नई गति दी. राजस्थान व हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर उनके सुदीर्घ अनुभव का लाभ दोनों राज्यों को भी मिला. उनका निधन राजनीति के एक युग का अंत है।“