आईआईटी रोपड़ की स्टार्टअप कंपनी ने विश्व का पहला पौधा आधारित स्मार्ट वायु शोधक (एयर-प्यूरिफायर) “यूब्रीद लाइफ” विकसित करने का दावा किया
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ और कानपुर के नवोदित वैज्ञानिकों, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संकाय ने एक पौधे पर आधारित वायु शोधक “यूब्रीद लाइफ” को विकसित किया है। यह भवन के भीतर के (इनडोर- स्थानों में वायु शोधन प्रक्रिया को बढ़ाता है। ये भीतरी स्थान अस्पताल, स्कूल, कार्यालय और आपके घर भी हो सकते हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ की स्टार्टअप कंपनी, अर्बन एयर लेबोरेटरी, जिसने यह उत्पाद विकसित किया है, का दावा है कि यह दुनिया का पहला, अत्याधुनिक ‘स्मार्ट बायो-फ़िल्टर’ है जो साँसों को ताज़ा कर सकता है। इसे आईआईटी रोपड़ में ऊष्मायित (इनक्यूबेट) किया गया है, जो भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, सरकार द्वारा एक नामित आईहब– अवध (आई –एडब्ल्यूएडीएच) (कृषि और जल प्रौद्योगिकी विकास हब) है।
इसकी तकनीक हवा को शुद्ध करने वाले प्राकृतिक पत्तेदार पौधे के माध्यम से काम करती है। कमरे की हवा पत्तियों के साथ संपर्क करती है और मिट्टी-एवं जड़ वाले क्षेत्र में जाती है जहां अधिकतम प्रदूषक शुद्ध होते हैं। इस उत्पाद में उपयोग की जाने वाली नई तकनीक ‘अर्बन मुन्नार इफेक्ट’ है, जिसमे “ब्रीदिंग रूट्स” द्वारा पौधों की फाइटोरेमेडिएशन प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाना है, के लिए पेटेंट आवेदन की प्रक्रिया जारी है। पौधों में फाइटोरेमेडिएशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा वे पौधे हवा से प्रदूषकों को प्रभावी ढंग से हटाते हैं।
‘यूब्रीद लाइफ’ एक विशेष रूप से डिजाइन लकड़ी के बक्से में फिट फिल्टर है जिसे विशिष्ट पौधों, अल्ट्रा वायलेट (यूवी) कीटाणुशोधन और प्री-फिल्टर, चारकोल फिल्टर और उच्च दक्षता पार्टिकुलेट वायु (एचईपीए) के समग्र उपयोग से बनाया गया है। यह किसी भी भवन के भीतर ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाते हुए गैसीय पार्टिकुलेट कणों और जैविक संदूषकों (कन्टेमिनेंटस) को हटाकर उस भवन के भीतर की वायु गुणवत्ता में प्रभावी रूप से सुधार करता है। इसमें एक केन्द्रापसारक (सेंट्रीफ्यूगल) पंखा है जो वायु शोधक के अंदर एक चूषण दबाव बनाकर हर दिशा (360 डिग्री) में निकासी के माध्यम से जड़ों में बनी शुद्ध हवा को छोड़ता है। वायु-शोधन के लिए जिन विशिष्ट पौधों का परीक्षण किया गया था उनमें पीस लिली, स्नेक प्लांट, स्पाइडर प्लांट आदि शामिल हैं और इन सभी ने परिसर की के अंदर की वायु को शुद्ध करने में अच्छे परिणाम दिए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार किसी पेसर के भीतर के (इनडोर) वायु स्थान बाहरी वायु स्थानों की तुलना में पांच गुना अधिक प्रदूषित हैं। वर्तमान कोविड महामारी के समय में यह विशेष रूप से चिंता का कारण है। एक शोध जिसे हाल ही में द जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) में प्रकाशित किया गया है, सभी देशों की सरकारों से प्रति घंटे वायु परिवर्तन (बाहरी हवा के साथ कमरे के भीतर वायु संचरण का एक उपाय) को ठीक करके भवन के वास्तुशिल्प और डिजाइन को बदलने का आह्वान करता है। ‘यूब्रीद लाइफ’ इस चिंता का एक समाधान हो सकता है।
“परीक्षण किया जा चुका ‘यूब्रीथ लाइफ’ नामक यह उत्पाद घर के अंदर स्वच्छ हवा बनाए रखने के लिए बाजी पलटने वाला (गेम चेंजर) हो सकता है। क्योंकि नए शोध से यह भी पता चलता है कि कोविड-19 टीकाकरण कार्यस्थलों, स्कूलों और यहां तक कि पूरी तरह से वातानुकूलित घरों में भी तब तक सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता है जब तक कि वायु निस्पंदन (एयर फिल्ट्रेशन), वायु शोधन और भवन के भीतर वायु का पर्याप्त संचरण (इनडोर वेंटिलेशन) उस भवन के डिजाइन का हिस्सा नहीं बन जाते। इसके लिए राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) की प्रयोगशालाओं और आईआईटी रोपड़ की प्रयोगशाला ने परीक्षण का आयोजन किया है जिसके बाद आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रो. राजीव आहूजा, ने दावा किया है कि ‘यूब्रीद लाइफ’ का उपयोग करने के बाद 150 वर्गफीट क्षेत्र वाले किसी कमरे का एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 15 मिनट में 311 से गिर कर 39 तक हो जाता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ‘यूब्रीद लाइफ’ दुनिया का पहला ऐसा संयंत्र आधारित वायु शोधक है जो बाजी पलटने वाला (गेम चेंजर) हो सकता है।
“यूब्रीद” के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री संजय मौर्य का दावा है कि उनके उत्पाद के कुछ बायोफिलिक लाभ भी हैं, जैसे कि संज्ञानात्मक कार्य, शारीरिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक स्वस्थता का समर्थन करना। इस प्रकार यह आपके कमरे में थोड़ा सा अमेज़ॅन के वनों की उपस्थिति होने जैसा है। उपभोक्ता को संयंत्र को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसमें 150 मिलीलीटर की क्षमता वाला एक अंतर्निर्मित जलाशय है जो पौधों की आवश्यकताओं के लिए एक बफर के रूप में कार्य करता है। उनका कहना है कि जब भी पौधे की जड़ें सूखने लगती हैं तो यह उपकरण उनको तत्काल पानी की आपूर्ति करता है।
इस शोधित उत्पाद की सिफारिश करते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के डॉ. विनय और डॉ. दीपेश अग्रवाल ने कहा कि ‘यूब्रीद लाइफ’ कमरे में ऑक्सीजन का संचार करती है, जिससे यह सांस लेने में समस्या वाले रोगियों के लिए अनुकूल है।
प्रो. आहूजा ने आश्वासन दिया कि इस उत्पाद को बाजार में लाने के लिए आईआईटी बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन करने में सक्षम है।