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सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर कानून व्यवस्था का बना रहना बदलते कश्मीर पर एक मुहर

सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद, जिस तरह से कश्मीर में कानून व्यवस्था बन रही है, वह न सिर्फ कश्मीर में बदले हालात का जिक्र करती है, बल्कि यह भी बता रही है कि जम्मू कश्मीर पुलिस के रणनीतिकार, अतीत के अनुभवों से सबक लेते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

गिलानी की मौत पर कश्मीर में क्या हंगामा हो सकता था, इसे आम कश्मीरी से ज्यादा बेहतर कोई नहीं जानता। चार साल पहले जब किसी ने गिलानी की मौत की अफवाह फैलाई तो कश्मीर में दुकानें बंद हो गईं, कई जगह पथराव भी हुआ। पुलिस ने हालात संभाले, लेकिन स्थिति पूरी तरह तभी सामान्य हुई जब गिलानी के परिवार ने मौत की खबर को अफवाह बताया।

जम्मू-कश्मीर पुलिस से जुड़े सूत्रों के अनुसार, प्रशासन कट्टरपंथी नेता के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखे था। आए दिन पुलिस अधिकारी और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी बैठक कर गिलानी की मौत पर कश्मीर में पैदा होने वाले हालात और उनसे निपटने की बात पर चर्चा जरूर करते। कुछ दिनों के अंतर पर कई इलाकों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के आपात प्रबंधों की मॉक ड्रिल भी होती रही। सभी चौकी व थाना अधिकारी अपने इलाके में सक्रिय रहे।

पुराने आतंकियों और पत्थरबाजों की लगातार निगरानी करने के सख्त निर्देश दिए गए थे। अब जम्मू कश्मीर पुलिस ने स्थिति को पूरी तरह से सम्भाल लिया ।जनाजे में शामिल होने के लिए उनके चंद रिश्तेदार ही पहुंचे।

पाकिस्तानी आतंकी अबु कासिम और बुरहान वानी के जनाजे में जमा भीड़ व हंगामे से सबक लेते हुए खुफिया एजेंसियों का जमीनी नेटवर्क लगातार अलर्ट और रहा था। अफजल गुरू को फांसी दिए जाने से पहले पूरे कश्मीर में कफ्र्यू के बावजूद हिंसा भड़की थी ।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलानी के निधन के बाद जिस तरह का बयान दिया, उससे पूरा अंदाजा लगाया जा सकता है कि कश्मीर में हालात खराब करने के लिए देश विरोधी तत्व ताक में थे।

बुधवार की देर रात जैसे ही गिलानी की मौत की खबर आई, पुलिस ने पहले से ही तैयार अपना रोडमैप लागू कर दिया। सभी संवेदनशील इलाकों में पुलिस व अर्धसैनिकबलों की तैनाती शुरू कर दी गई। मस्जिद के जरिए और खुद भी पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न माध्यमों से लोगों से संयम रखने का आग्रह किया। कानून व्यवस्था की स्थिति को भंग न करने की सलाह दी। इस दौरान किसी भी इलाके को पूरी तरह सील नहीं किया गया, बल्कि उन्हीं इलाकों को सील किया जहां हंगामे की आशंका थी। सिर्फ बीएसएनएल की इंटरनेट सेवा ही चालू रही। फोन सेवा भी बंद रही।

राज्य पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम से यह भी साबित हो गया है कि गिलानी, जिनके कहने पर कश्मीर बंद हो जाता था, वह अपनी मौत के समय आम कश्मीरियों में अपनी साख गंवा बैठे थे। नहीं तो लोग जरूर उनके जनाजे में शामिल होने के लिए प्रशासनिक पाबंदियां तोड़ते। उनके जनाजे पर पसरा सन्नाटा कश्मीर में बदलते हालात और सुधरते सुरक्षा परिदृश्य पर भी मुहर लगाता है। इसका श्रेय सुरक्षा एजेंसियों को जाता है।