चीन के पैसों पर नया अफगानिस्तान बनाएगा तालिबान
अफगानिस्तान पर जीत हासिल करने के बाद तालिबान आज सरकार का ऐलान कर सकता है। माना जा रहा है कि आज जुमे की नमाज के बाद तालिबान अफगानिस्तान में सरकार का ऐलान करेगा, जिसके करता- धरता हिबतुल्लाह अखुंदजादा होगे।
सरकार के ऐलान से ठीक पहले तालिबान ने बताया है कि आखिर वह किसकी मदद से अफगानिस्तान को संकट से उबारेगा। तालिबान ने कहा है कि वह चीन से आर्थिक मदद के सहारे देश की हालत सुधारने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि चीन ही उसके लिए सबसे भरोसेमंद सहयोगी है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि ‘तालिबान चीन को सबसे अहम भागीदार के रूप में देखता है और मुख्य रूप से चीन से फंडिंग पर निर्भर होगा।’ जबीउल्लाह मुजाहिद ने इटली के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में चीन के करीबी रिश्तों का इजहार किया।
मुजाहिद ने कहा कि ‘अफगानिस्तान की आर्थिक हालत काफी खराब है और उन्हें देश चलाने के लिए आर्थिक मदद की ज़रूरत है। उन्होंने स्वीकारा कि शुरुआती तौर पर हम चीन की मदद से आर्थिक हालात सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।’
प्रवक्ता ने कहा कि ‘चीन हमारे लिए एक मौलिक और असाधारण अवसर का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि वह निवेश करने और हमारे देश के पुनर्निर्माण के लिए तैयार है।’ मुजाहिद ने यह भी कहा कि चीन की महत्वकांक्षी योजना वन बेल्ट वन रोड को तालिबान काफी तवज्जो देता है।
बता दें कि कुछ दिन पहले तालिबान में नंबर दो माने जाने वाले मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने बीजिंग का दौरा किया था। इस दौरान चीन के विदेश मंत्री से बातचीत की थी। अब इस दौरे का नतीजा तालिबान के गुरुवार को दिए बयान से साफ हो रहा है। अफगानिस्तान में करीब 200 लाख करोड़ की खनिज संपदा है, जिस पर चीन नजर गड़ाए है।
दरअसल, तालिबान चीन को भरोसा दिला चुका है कि वो उइगर मुस्लिमों के कट्टरपंथी तत्वों पर नकेल कसकर रखेगा। अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल चीन के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, तालिबान ने भारत समेत पूरी दुनिया को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल किसी मुल्क के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा।
अफगानिस्तान में तालिबान राज के बाद दुनिया के अन्य देशों से आने वाली सहायता राशि या तो कम या बंद हो गई है। मनी ट्रांसफर जैसी सुविधा भी बंद हो गई है। लोगों को मजबूरी में अपने गहने बेचने पड़ रहे हैं। अमेरिका ने अफगानिस्तान के लिए अपनी तिजोरी में ताला जड़ दिया है, वहीं आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक ने भी उसकी वित्तीय सहायता को रोक दिया है।
बीते कुछ सालों में पाकिस्तान भी चीन की ओर आकर्षित हुआ है ।मध्य एशिया क्षेत्र में अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए चीन इन देशों के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है, ताकि उसका दबदबा इस क्षेत्र में बढ़ जाए और वह सुपर पावर अमेरिका को टक्कर दे सके। चीन पाकिस्तान में कई परियोजना को स्पॉन्सर कर रहा है, इतना ही नहीं इमरान सरकार को कर्ज भी देता रहा है।