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संतान सप्तमी ;- जाने व्रत पूजन की विधि ,किसके लिए किया जाता है यह व्रत ,आइए बताते है

संतान सप्तमी व्रत भादो महीने की शुक्लपक्ष की सप्तमी को किया जाता है।यह व्रत सोमवार यानि 13 सितम्बर को है। यह व्रत संतान की प्राप्ति, उसकी कुशलता और उन्नति के लिए किया जाता है। जानिए संतान सप्तमी का व्रत करने की विधि –

संतान सप्तमी के दिन सुबह ज्ल्दी उठकर, स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहनें और भगवान शिव और मां गौरी को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें।अब अपने व्रत की शुरुआत करें और निराहार रहे और पूजन का प्रसाद तैयार कर लें। इसके लिए खीर-पूरी व गुड़ के 7 पुए या फिर 7 मीठी पूरी तैयार की जाती है।

यह पूजा दोपहर के समय 12 बजे तक कर लेनी चाहिए। पूजा के लिए धरती पर चौक बनाकर उस पर चौकी रखें और उस पर शंकर पार्वती की मूर्ति स्थापित कर कलश स्थापित करें। उसमें आम के पत्तों के साथ नारियल रखें। दीपक जलाएं और आरती की थाली तैयार कर लें। हल्दी, कुंकुम, चावल, कपूर, फूल, कलावा आदि अन्य सामग्री रखें।अब 7 मीठी पूड़ी को केले के पत्ते में बांधकर उसे पूजा में रखें और संतान की रक्षा व उन्नति के लिए प्रार्थना करते हुए भगवान शिव को कलावा अर्पित करें।

पूजा करते समय सूती का डोरा या चांदी की संतान सप्तमी की चूडी हाथ में पहननी चाहिए। यह व्रत माता -पिता दोनो ही संतान की कामना के लिए कर सकते हैं।पूजन के बाद धूप, दीप नेवैद्य अर्पित कर संतान सप्तमी की कथा पढ़ें या सुनें।

व्रत खोलने के लिए पूजन में चढ़ाई गई मीठी सात पूड़ी या पुए खाएं और अपना व्रत खोलें। इस तरह संतान सप्तमी का व्रत पूजन अदि किया जाता है।