सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर तकनीक की जानकारी एमएसएमई मंत्रालय को हस्तांतरित
कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक उल्लेखनीय कदम उठाते हुए, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरणगत इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) ने स्वदेशी रूप से विकसित सेलाइन गार्गल (नमक घोल के गरारे) आरटी-पीसीआर तकनीक जिसका उपयोग कोविड-19 नमूनों के परीक्षण के लिए उपयोग किया जाता है, की जानकारी हस्तांतरित कर दी है।
सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर प्रौद्योगिकी सरल, त्वरित, सस्ती, रोगी के अनुकूल और आरामदायक है; यह त्वरित जांच परिणाम भी उपलब्ध कराती है और न्यूनतम बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को देखते हुए ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के लिए सर्वथा उपयुक्त है।
सीएसआईआर-नीरी ने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित नवोन्मेषण समाज की सेवा के लिए ‘राष्ट्र को समर्पित’ किया गया है। इस जानकारी को गैर-विशिष्ट आधार पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) को हस्तांतरित कर दिया गया है। यह नवोन्मेषण निजी, सरकारी और विभिन्न ग्रामीण विकास योजनाओं और विभागों सहित सभी सक्षम पार्टियों को वाणिज्यीकरण करने और लाइसेंस प्राप्त करने में समर्थ बनाएगा।
लाइसेंसधारकों से आसानी से प्रयोग करने योग्य कॉम्पैक्ट किट के रूप में व्यावसायिक उत्पादन के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने की अपेक्षा की जाती है। महामारी की व्याप्त स्थिति तथा कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए सीएसआईआर-नीरी ने देश भर में इसके व्यापक प्रसार के लिए संभावित लाइसेंसधारियों को जानकारी हस्तांतरण करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।