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दुनिया में पहली बार आम नागिरकों को लेकर अंतरिक्ष यान पृथ्‍वी की कक्षा में लांच होगा, जानें यात्रा के अनछुए पहलू

आज पहली बार आम नागिरकों को लेकर अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में लांच होने वाला है। पांच महीने के प्रशिक्षण के बाद आम लोग स्पेसएक्स के क्रू डैगन पर सवार होकर फाल्कन 9 राकेट से अंतरिक्ष के लिए रवाना होगे। यह मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केंद्र से लांच किया जाएगा। जेरेड इसाकमैन ने सीधे राकेट कंपनी से क्रू ड्रैगन कैप्सूल किराए पर लिया है। इस मिशन में कितना खर्च आया है, उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया है। मगर उन्होंने इशारा करते हुए कहा कि इसमें कुल खर्च 200 मिलियन डालर से कम आया है।

इसाकमैन ने फैसला किया है कि वे जमीन से 355 मील ऊपर जायेंगे और तीन दिनों के लिए उड़ान भरेंगे। अभी तक किसी भी मानव ने स्पेस की इतनी दूरी तय नहीं की है। अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, लेकिन अंतरिक्ष स्टेशन पर डाक नहीं करेगा। यह ग्रुप अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से ज्यादा ऊंचाई तक जाएगा और तीन दिन तक वहां का नजारा लेगा। इसी बीच अंतरिक्ष में प्रयोग भी किए जाएंगे।

इस अंतरिक्ष यात्रा में इसकमैन के अलावा फिजिशन हेली आर्सेना, एयर फोर्स इंजिनियर क्रिस सेंब्रोस्की और साइंटिस्ट डा. सायन प्राक्टर भी जाएंगी। सूत्रों के अनुसार इस स्पेसशिप का बाथरूम छत पर होगा और यहां से शानदार व्यू भी दिखेगा। यह बाथरूम जहां होगा, उसके ऊपर शीशे का गुंबद जैसा भी होगा जिसे कुपोला नाम दिया गया है। कंपनी के ट्रेंड क्रू मेम्बर्स मदद के लिए हरदम साथ होंगे। दो पायलट और छ पैसेंजर वाली यह ट्रिप कुल 90 मिनट की होगी। इस यात्रा के लिए वर्जिन गैलेक्टिक ने ढाई लाख डालर यानी करीब 1.75 करोड़ रुपए तय किए हैं।

अंतरिक्ष पर ले जाने के लिए यात्रियों की प्री-बुकिंग हो चुकी है। कमर्शियल लांच के बाद पहले ट्रिप में खुद कंपनी के मालिक रिचर्ड ब्रेन्सन अपने दोनों बेटों के साथ यात्रा पर जाएंगे। वर्जिन गैलेक्टिक के अलावा 50 अन्य कंपनियां भी इस ओर काम कर रही हैं। अमेजन ग्रुप की ब्लू ओरिजिन, स्पेस एडवेंचर्स, स्पेसएक्स, कोस्मोकर्स, रोस्कोमोस और एक्सिओम स्पेस इनमें प्रमुख हैं। वर्जिन गैलेक्टिक के अनुसार यह ट्रिप दो एयर विमानों के साथ शुरू होगी।

कोई भी ऐसा व्यक्ति स्पेस की सैर कर सकता है, जो शारीरिक रूप से फिट हो। अंतरिक्ष यात्रा के लिए शारीरिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी होता है। यात्रा के शुरू में 24 घंटे बहुत चुनौतिपूर्ण होते हैं। यात्रा के समय जी घबराने के साथ ही चक्कर भी आता है। धरती पर दोबार लौटने के बाद आपको बहुत भारी महसूस होता है। गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण यात्री प्लेन के अंदर हवा में ही रहते हैं।