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अफगानिस्तान: फिर आने वाला है फांसी देने का दौर

मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी तालिबान के संस्थापकों में से एक हैं और इस्लामी कानून के विशेष जानकार हैं। उन्होंने ऐलान कर कहा है कि अफगानिस्तान में फिर से फांसी की सजा दी जाएगी और दोषियों के हाथ काटे जाएंगे। यह गुप्त रूप से होगा। सबके सामने नहीं किया जायेगा।

पहले जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर राज किया था , तो ऐसी सजा सभी के सामने दी जाती थी। लेकिन मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने इस बात से इंकार करते हुए कहा कि पहले फांसी की सजा स्टेडियम में दी जाती थी। जिसे देखने के लिए भारी भीड़ जमा होती थी।

काबुल की जेल में कैदी ,जो अब जेलर बन चुके है ,उन्होंने कहा- स्टेडियम में सजा के लिए सभी ने हमारी आलोचना की। लेकिन हमने उनके कानूनों और दंड के बारे में कभी कुछ नहीं कहा। कोई हमें नहीं बताएगा कि हमारे कानून क्या होने चाहिए। हम इस्लाम का पालन करेंगे और कुरान के आधार पर अपने कानून बनाएंगे।

तुराबी अब 60 साल के हो गए हैं। वे तालिबान के पिछले शासन के दौरान न्याय मंत्री और सदाचार प्रचार एवं अवगुण रोकथाम विभाग के प्रमुख थे। उस समय दुनिया ने तालिबान द्वारा दी जाने वाली सजाओं की निंदा की थी।

पिछले शासन में कठोर सजा खेल के मैदान में या खुले मैदान पर दी जाती थी। सजा को देखने के लिए अक्सर सैकड़ों अफगान पुरुष आते थे। गोली मारकर सजा दी जाती थी। सजा पाने वाले हत्यारों को एक ही गोली में मार दिया जाता था। इस सजा को अंजाम पीड़ित का परिवार देता था।

जो लोग चोरी के दोषी होते थे,उनके हाथ काट दिए जाते थे। हाईवे पर डकैती के दोषी का एक हाथ और एक पांव काट दिया जाता था। न्यायपालिका भी अक्सर इस्लामी मौलवियों की ही बात मानती थी । ऐसे मौलवियों का कानूनी ज्ञान कम और धार्मिक विचार ज़्यादा रहते थे।

तुराबी ने हिंदुस्तान न्यूज़ को बताया कि इस बार जज ,जिनमें महिलाएं भी शामिल होंगी, मामलों का फैसला करेंगे। लेकिन अफगानिस्तान के कानूनों की नींव में कुरान होगा। जिसके मुताबिक वैसी ही सजा दी जाएगी। सुरक्षा को देखते हुए हाथ काटना बहुत जरूरी है, इससे भय पैदा होगा। मंत्रिमंडल इस बात का अध्ययन कर रहा है कि सजा को सार्वजनिक रूप से देना चाहिए या नहीं।