केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवीकरण और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन – अमृत 2.0 को 2025-26 तक के लिए मंजूरी दी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज 2025-26 तक नवीकरण और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत 2.0) को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम के रूप में और पानी की सर्कुलर इकोनॉमी के जरिए शहरों को ‘जल सुरक्षित’ एवं ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के उद्देश्य से मंजूरी दे दी है।
मंत्रिमंडल का मानना है कि शहरी परिवारों को विश्वसनीय और सस्ती जलापूर्ति तथा स्वच्छता सेवाएं प्रदान करना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है। यह सभी घरों को चालू नल कनेक्शन प्रदान करके, जल स्रोत संरक्षण/वृद्धि, जल निकायों और कुंओं का कायाकल्प, शोधित किए गए पानी का पुनर्चक्रण/पुन: उपयोग और वर्षा जल संचयन द्वारा प्राप्त किया जाएगा। इस परियोजना से शहरी परिवारों को पाइप से जलापूर्ति और सीवरेज/सेप्टेज की सुविधा उपलब्ध कराकर उनके जीवन में सुगमता लायी जाएगी।
नवीकरण और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन, देश का पहला केंद्रित राष्ट्रीय जल मिशन है जिसे जून 2015 में 500 शहरों में नागरिकों को नल कनेक्शन और सीवर कनेक्शन प्रदान करके जीवन में सुगमता लाने के लिए शुरू किया गया था। अब तक 1.1 करोड़ घरेलू नल कनेक्शन और 85 लाख सीवर/सेप्टेज कनेक्शन दिए जा चुके हैं। 6,000 एमएलडी सीवेज शोधन क्षमता विकसित की जा रही है, जिसमें से 1,210 एमएलडी क्षमता पहले से ही बनाई जा चुकी है, जिसमें 907 एमएलडी शोधित सीवेज के पुन: उपयोग का प्रावधान है। 3,600 एकड़ क्षेत्रफल वाले 1,820 उद्यान विकसित किए गए हैं, जबकि अन्य 1,800 एकड़ क्षेत्र में हरियाली है। अब तक 1,700 बाढ़ बिंदुओं को समाप्त कर दिया गया है।
अमृत के तहत किए गए उल्लेखनीय प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, अमृत 2.0, सभी 4,378 सांविधिक शहरों में घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करके पानी की आपूर्ति के सार्वभौमिक कवरेज का लक्ष्य रखता है। 500 अमृत शहरों में घरेलू सीवरेज/सेप्टेज प्रबंधन का 100 प्रतिशत कवरेज इसका एक और उद्देश्य है। मिशन का लक्ष्य 2.68 करोड़ नल कनेक्शन और 2.64 करोड़ सीवर/सेप्टेज कनेक्शन प्रदान करना है ताकि अपेक्षित परिणाम मिलें।
अमृत 2.0 के लिए कुल सांकेतिक परिव्यय 2,77,000 करोड़ रुपये है जिसमें वित्त वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक पांच वर्षों के लिए 76,760 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है।
एक मजबूत प्रौद्योगिकी आधारित पोर्टल पर मिशन की निगरानी की जाएगी। परियोजनाओं की जियो टैगिंग की जाएगी। इसे पेपरलेस मिशन बनाने का प्रयास किया जाएगा। शहर जल संतुलन योजना के माध्यम से अपने जल स्रोतों, खपत, भविष्य की आवश्यकता और पानी के नुकसान का आकलन करेंगे। इसके आधार पर शहर की जल कार्य योजना तैयार की जाएगी जिसे राज्य जल कार्य योजना के रूप में पेश किया जाएगा और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी जाएगी। परियोजनाओं के लिए धन केंद्र, राज्य और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) द्वारा साझा किया जाएगा। राज्यों को केंद्रीय निधि राज्य जल कार्य योजना के अनुसार राज्य के आवंटन के आधार पर तीन चरणों में जारी की जाएगी।
अमृत 2.0 (यू) की अन्य प्रमुख विशेषताओं में पेय जल सर्वेक्षण शामिल है जो शहरी जल सेवाओं के बेंचमार्किंग के लिए शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करेगा। मिशन दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से परियोजनाओं के 10 प्रतिशत कार्यान्वयन को अनिवार्य करके बाजार वित्त जुटाने को भी प्रोत्साहित करेगा। मिशन प्रौद्योगिकी उप-मिशन के माध्यम से दुनिया में जल क्षेत्र में अग्रणी प्रौद्योगिकियों का भी इस्तेमाल करेगा। जल इकोसिस्टम में उद्यमियों/स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित किया जाएगा। जल संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए सूचना शिक्षा एवं संचार (आईईसी) अभियान चलाया जाएगा।
मिशन का सुधार से जुड़ा एक एजेंडा है जो शहरी स्थानीय निकायों के वित्तीय स्वास्थ्य और जल सुरक्षा पर केंद्रित है। पानी की 20 प्रतिशत मांग को पुनर्चक्रित (रीसाइकिल्ड) जल के माध्यम से पूरा करना, गैर-राजस्व जल को 20 प्रतिशत से कम पर लाना और जल निकायों का कायाकल्प जल संबंधी प्रमुख सुधार हैं। संपत्ति कर में सुधार, उपयोगकर्ता शुल्क और शहरी स्थानीय निकायों की क्रेडिट योग्यता बढ़ाना अन्य महत्वपूर्ण सुधार हैं। सुधारों को पूरा करने पर शहरी स्थानीय निकायों को प्रोत्साहन के साथ पुरस्कृत किया जाएगा।