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लक्ष्य ऊंचा रखें, बड़े सपने देखना, कड़ी मेहनत करना और अनुशासन का पालन करना, जीवन में सफल होने का यही मेरा मंत्र है: नायडु

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने सुशासन में प्रभावी संचार की भूमिका पर जोर देते हुए आज जन-संचारकों अर्थात पब्लिक कम्यूनिकेटर्स से लोगों को समय पर स्थानीय भाषाओं में सरकार की नीतियों और पहलों की जानकारी देकर उन्हें सशक्त बनाने की अपील की।

उपराष्ट्रपति ने हैदराबाद में अपने आवास पर 2020 बैच के भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) के प्रशिक्षु अधिकारियों के एक समूह के साथ बातचीत करते हुए कहा कि सरकारों और नागरिकों के बीच की खाई को पाटने में जन-संचारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहा,“यदि आप विभिन्न योजनाओं के बारे में लोगों को सरल और स्पष्ट भाषा में सूचित करते हैं, तो वे अपने अधिकारों और सरकारी प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। इससे पारदर्शिता आती है।’’

नायडु ने कहा कि ’पुष्ट जानकारी’ सरकार की तरफ से संचार की कुंजी है। उन्होंने सूचना सेवा के अधिकारियों से गलत सूचनाओं और फर्जी खबरों को रोकने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। उन्होंने उनसे सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषयों पर काम करने को कहा। जैसे-लैंगिक असमानता और कुछ वर्गों में वैक्सीन लगाने को लेकर हिचकिचाहट को दूर करना।

मीडिया को एक शक्तिशाली माध्‍यम बताते हुए उन्होंने कहा कि वह चाहते है कि इस माध्‍यम का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ किया जाए ताकि अपेक्षित बदलाव आए। उपराष्ट्रपति ने अपनी परिचित शैली में कहा, ’’जुड़ें, संवाद करें और बदलाव लाएं’’

आईआईएस के प्रशिक्षु अधिकारी पत्र सूचना कार्यालय के क्षेत्रीय कार्यालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अन्य मीडिया इकाइयों में अपने प्रशिक्षण से जुड़े कार्यक्रम के सिलसिले में हैदराबाद में हैं। युवा अधिकारियों को सिविल सेवाओं में उनके चयन पर बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को सही जानकारी देकर उनको सशक्त बनाने में सूचना सेवा की बड़ी भूमिका होती है।

एक किसान पुत्र के देश के सर्वोच्च पदों में से एक को प्राप्त करने के अपने सफर को याद करते हुए श्री नायडु ने प्रशिक्षुओं को सफलता प्राप्त करने के लिए पूरे समर्पण के साथ कार्य करने की सलाह दी।

उन्होंने युवा सिविल सेवकों से कहा, ’’लक्ष्य ऊंचा रखें, बड़े सपने देखें, कड़ी मेहनत करें और अनुशासन का पालन करें। जीवन में सफल होने का मेरा यही मंत्र है।’’

उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को खेल और शारीरिक कार्यकलापों में नियमित रूप से हिस्सा लेने और तंदुरुस्त रहने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा, ’’बेहतर भविष्य के लिए आज किया गया कार्य प्रकृति और संस्कृति दोनों के अनुरूप हो।’’