CCTV ने बांग्लादेश हिंसा का खोला राज, पुलिस ने पंडाल में कुरान रखकर दंगा कराने वालों को पहचाना
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडाल में मूर्तियों के बीच कुरान रखकर हिंदुओं पर कराए गए हमलों की पूरी साजिश अब सामने आ गई है। बांग्लादेश पुलिस ने कोमिल्ला शहर में पंडाल के अगल बगल इलाको में लगे सीसीटीवी कैमरों की सहायता से कुरान रखने वाले का पता कर लिया है। इस शख्स की पहचान शहर के ही सुजाननगर एरिया के इकबाल हुसैन (35 साल) के तौर पर की गई है।
लोकल मीडिया रिपोर्ट की माने तो हुसैन का साथ देने वाले दो साथियों की भी पहचान की गई है। इन दोनों के नाम फयाज और इकराम हुसैन बताए गए हैं। इन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया हैं। पुलिस ने कुल 41 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें फयाज और इकराम समेत कुल चार लोग हुसैन के दोस्त कहे जा रहे है। बांग्लादेश की PM शेख हसीना ने पूरे मामले का पता कर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश पुलिस को दिए हैं।
कोमिल्ला शहर से 13 अक्टूबर को हिंदुओं के विरुद्ध शुरू हुई हिंसा 17 अक्टूबर तक पूरे बांग्लादेश में चली थी। इस दौरान बड़े पैमाने पर हिंदुओं पर हमले हुए। दुर्गा पंडालों में तोड़ फोड़ की गई। हिंदुओं के घर जलाए गए। ऐसे हमले अभी भी पूरी तरह बंद नहीं हुए है।
सरकार को अस्थिर करने की साजिश
ढाका वाचर्स की रिपोर्ट की माने तो यह सरकार के विरुद्ध जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की सोची समझी साजिश है। हालांकि अभी इसके लिए सबूत इक्कठे किए जा रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश भी तालिबान की तरह बांग्लादेश में पूरी तरह इस्लामी राज्य स्तापित करना चाहता है।
पंडाल में कुरान रखने की फुटेज
एक रिपोर्ट के अनुसार, इकबाल हुसैन को नानुआ दिघिर में पूजा पंडाल के इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में देखा गया। एक फुटेज में हुसैन एक मस्जिद से हरे कपड़े में लिपटी कुरान लेकर निकलता है और बाद में पूजा पंडाल में प्रवेश करता दिखा है। इसके बाद एक अन्य फुटेज में वह भगवान हनुमान की मूर्ति के पास देखा गया। पुलिस अब तक हुसैन को गिरफ्तार करने में नाकाम रही है।
बांग्लादेशी नहीं, सऊदी अरब की कुरान
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हुसैन ने पंडाल में कुरान रखी थी मगर इसके बाद फयाज नाम के शख्स ने वहां अपने समुदाय के लोगों की भीड़ जुटाकर उन्हें भड़काया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि कोमिल्ला में पूजा पंडाल में भगवान गणेश के पैरों के नीचे मिली कुरान बांग्लादेश में नहीं छपी थी बल्कि सऊदी अरब में छपी थी। यह कुरान को फयाज सऊदी से लेकर आया था और यह उसकी निजी कुरान थी।