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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा ‘ऊर्जा क्षेत्र में भारत-स्वीडन की साझेदारी, जीवाश्म ईंधन मुक्त अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करने में दूरगामी परिणाम देने वाली होगी

केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में भारत और स्वीडन का सहयोग जीवाश्म ईंधन मुक्त अर्थव्यवस्था के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने में दूरगामी परिणाम देने वाला होगा।

‘भारत-स्वीडन हरित परिवर्तन को बढ़ावा’ विषय पर 8वें भारत-स्वीडन नवाचार दिवस में उद्घाटन भाषण देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चूंकि भारत स्वच्छ ऊर्जा हेतु विकल्पों पर काम कर रहा है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जब अप्रैल 2018 में स्टॉकहोम दौरे पर गए थे तब उस दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में चिह्नित किया गया था।

केन्द्रीय मंत्री ने संतोष व्यक्त करते हुए रेखांकित किया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा स्वीडिश ऊर्जा एजेंसी ने इस क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए औद्योगिक अनुसंधान और विकास प्रस्तावों के लिए आह्वान किया, जिसमें 20 संयुक्त औद्योगिक प्रस्ताव मिले। इन प्रस्तावों पर काम किया जा रहा है और हम जल्द ही चयनित परियोजनाओं को लागू करने की स्थिति में होंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के बाद, 2 मई 2019 को आयोजित संयुक्त समिति ने आधिकारिक स्तर पर वैज्ञानिक सहयोग की समीक्षा की और उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों की पहचान की जिसमें स्मार्ट सिटी, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, डिजिटलीकरण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग, सर्कुलर इकोनॉमी आदि शामिल हैं जिन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा स्वीडिश उद्यम और नवाचार मंत्रालय क्रियान्वित कर रहे हैं।

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने 5 मार्च 2021 को अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान संयुक्त प्रयासों की घोषणा की थी जिसके परिणामस्वरूप 22 परियोजनाओं और तीन संयुक्त परियोजनाओं को वित्त पोषण के लिए दोनों पक्षों से अनुशंसित किया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 2021-22 के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और स्वीडिश विनोवा द्वारा स्वास्थ्य विज्ञान और अपशिष्ट से धन जैसे विषयों सहित सर्कुलर अर्थव्यवस्था पर एक नई संयुक्त शुरुआत पर संतोष व्‍यक्‍त किया। उन्होंने कहा कि आई सी एम आर इंडिया और स्वीडिश एफ ओ आर टी ई ने सार्वजनिक स्वास्थ्य, रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन संगठन तथा वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल जैसे व्यापक विषयों पर भी 2021-22 में संयुक्त रूप से व्यापक और नई शुरुआत करने पर सहमति व्यक्त की। डॉ. सिंह ने कहा कि इसके अलावा जैव प्रौद्योगिकी विभाग पहले से ही इन्क्यूबेटर कनेक्ट, डिजिटल हेल्थ केयर और ग्लोबल बायो इंडिया कार्यक्रमों के लिए स्वीडन के भागीदारों के साथ जुड़ा हुआ है और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ावा दे रहा है।

भारत-स्वीडन नवाचार दिवस समारोह के सफल 8 वर्षों के लिए भारतीय और स्वीडिश वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग, द्विपक्षीय साझेदारी का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसकी औपचारिक शुरुआत 9 दिसंबर 2005 को स्टॉकहोम में भारत-स्वीडन के बीच एक अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ हुई थी।

इस समझौते में विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के प्रावधान हैं। इसके अंतर्गत वैज्ञानिकों, स्नातक छात्रों, शोध कर्मचारियों, प्रौद्योगिकीविदों, अन्य विशेषज्ञों और विद्वानों का आदान-प्रदान शामिल है।

स्वीडिश व्यापार, उद्योग और नवाचार मंत्री इब्राहिम बेलान ने अपने संबोधन में कहा कि भारत-स्वीडन सहयोग कोविड महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भी जारी रहा। उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में साझेदारी की संख्या में 2018 से वृद्धि हुई है। उन्होंने समाज में स्थायित्व को विकसित करने के लिए नए समाधान और नई व्यवस्थाओं का खोजने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वीडन जीवाश्म ईंधन मुक्त अर्थव्यवस्था बनने और जलवायु अनुकूल नए प्रौद्योगिकी उत्पादों को विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है।