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जीडीपी में एक बार फिर हो सकती है गिरावट

ईकोनॉमी को कोरोना महामारी के कारण सबसे ज्यादा चोंट पहुँची है। अर्थव्यवस्था पटरी पर धीरे-धीरे लौट ही रही थी कि सरकारी अनुमान के आते ही व्यापारियों, मिडिल क्लास, और गरीब वर्ग के लोगों की परेशानी और बढ़ सकती है। सरकार के अनुमान के अनुसार, FY21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी ) में 7 प्रतिशत की गिरावट हो सकती हैं।

वर्ष 2019-20 में FY20 में आर्थिक वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रही थी।

वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था का आकार 2011-12 के मूल्य पर 134.40 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। यह 2019-20 में 145.66 मूल्य पर था।

वहीं सरकारी अनुमानो को लेकर आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से अर्थव्यवस्था को लेकर विचार विमर्श करेंगे।

बैठक का आयोजन सरकार के ‘थिंक टैंक नीति आयोग’ द्वारा किया जा रहा है। इसमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत भी शामिल होंगे।
इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुमानों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार चालू वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत घट सकता है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अनुमान लगाया है कि इसमें 10.3 प्रतिशत की गिरावट रहेगी, वहीं विश्व बैंक का अनुमान है कि 9.6 फीसदी कमी होगी ।

इसके अलावा, सितंबर में विनिर्माण क्षेत्र में वृद्घि और त्योहार के आने से उपभोक्ता मांग में सुधार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही थी।

सरकार का दावा है कि इकोनॉमी में V-शेप रिकवरी हो रही है।

Nisha Jha

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