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दिव्यांगजनों को हमारी सहानुभूति की नहीं, संवेदना की आवश्यकता होती हैः उपराष्ट्रपति नायडू

उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने एक समावेशी समाज के निर्माण पर जोर दिया, जो दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील हो। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को हमारी सहानुभूति की नहीं, संवेदना की आवश्यकता होती है।

आज आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में ‘दिव्यांगजनों के कौशल विकास एवं पुनर्वास के लिए अंगभूत क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी)’ के कर्मचारी तथा प्रशिक्षुओं के साथ परस्पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनके लिए अनुकूल और सक्षमकारी वातावरण सृजित किया जाए तो दिव्यांगजन किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं।

हाल में आयोजित टोक्यो पैरा ओलिंपिक खेलों में भारत के उत्कृष्ट प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों द्वारा प्रदर्शित संकल्प और कड़ी मेहनत ने लाखों भारतीयों को प्रेरित किया है। उन्होंने सिद्ध कर दिया है कि दृढ़ता और इच्छाशक्ति के माध्यम से किसी भी प्रकार की विकलांगता दूर की जा सकती है।

उपराष्ट्रपति नायडू ने बाधामुक्त यात्रा के लिए एक विकलांगता अनुकूल सार्वजनिक अवसंरचना के निर्माण की अपील की। कौशल प्रशिक्षण के जरिए दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए सीआरसी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने निजी क्षेत्र से सामने आने और दिव्यांगजनों को सक्रियतापूर्वक रोजगार उपलब्ध कराने का आग्रह किया।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति नायडू ने दिव्यांग लाभार्थियों को उपकरणों तथा अप्लायंसेज का भी वितरण किया।

नेल्लोर स्थित सीआरसी सिकंदराबाद के राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआईईपीआईडी) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्य करता है तथा वर्तमान में डाटा एंट्री ऑपरेशन, सिलाई मशीन ऑपरेशन, कार्यालय सहायक प्रशिक्षण और एलईडी बोर्ड निर्माण जैसे विभिन्न व्यावसायिक विषयों में दिव्यांगजनों को कौशल विकास प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है।

सिकंदराबाद के राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआईईपीआईडी) के अधिकारी, नेल्लोर स्थित सीआरसी के कर्मचारी और प्रशिक्षु इस अवसर पर उपस्थित थे।

बाद में, नायडू ने नेल्लोर स्थित स्वर्ण भारत ट्रस्ट के कौशल्या सदन-ग्रामीण स्व-सशक्तीकरण प्रशिक्षण संस्थान का उद्घाटन किया। व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन करते हुए नायडू ने जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना हमारे राष्ट्र की विकास गाथा के लिए महत्वपूर्ण है।

कौशल्या सदन का फोकस समाज के वंचित वर्ग के लोगों को व्यावसायिक कौशल प्रदान करना है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने ट्रस्ट के जनजातीय बच्चों के साथ भी बातचीत की, जो आंध्र प्रदेश के श्रीसेलम के निकट इरागोंडापल्लम गांव से आए थे।