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पीएम मोदी द्वारा बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय को मिला ये खास तोहफा, कही ये खास बातें

आज भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हैं. इस खास मौके पर PM मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से रांची में बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया. पीएम मोदी ने उसके बाद लोगों का संबोधन भी किया, उन्होंने कहा कि ‘आजादी के इस अमृतकाल में देश ने यह तय किया है कि भारत की जनजातीय परंपराओं को, शौर्य गाथाओं को देश अब और भी ज्यादा भव्य पहचान देगा. साथ ही एक ऐतिहासिक फैसला भी लिया गया है कि आज से प्रत्येक वर्ष देश 15 नवंबर यानी भगवान विरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएगा’.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमारे जीवन में कुछ दिन बड़े सौभाग्य से आते हैं, और जब ये दिन आते हैं तब हमारा फ़र्ज़ होता है कि उनकी आभा, उनके प्रकाश को अगली पीढ़ियों तक और ज्यादा भव्य रूम में पहुंचाए. आज का ये दिन ऐसा ही पुण्य-पुनीत का अवसर है. पीएम मोदी ने आगे कहा कि आज ही के दिन हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण ही झारखण्ड राज्य भी अस्तित्व में आया था. ये अटल जी ही थे जिन्होंने देश की सरकार में सबसे पहले अलग आदिवासी मंत्रालय का गठन कर आदिवासी हितों को देश की नीतियों से जोड़ा था. इस महत्वपूर्ण मौके पर देश का पहला जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय देशवासियों के लिए समर्पित हो रहा है. भारत देश की पहचान और भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए भगवान बिरसा मुंडा ने अपने आखिरी दिन रांची की इसी जेल में बिताए थे.

पीएम मोदी ने कहा कि ‘भारत की सत्ता, भारत के लिए फैसला लेने की अधिकार-शक्ति भारत के लोगों के पास आए, ये स्वाधीनता संग्राम का एक स्वाभाविक लक्ष्य था. पर साथ ही, ‘धरती आबा’ की लड़ाई उस सोच के खिलाफ भी थी जो भारत की, आदिवासी समाज की पहचान को मिटाना चाहती थी. आधुनिकता के नाम पर विविधता पर हमला, प्राचीन पहचान और प्रकृति से छेड़छाड़, भगवान बिरसा जानते थे कि ये समाज के कल्याण का रास्ता नहीं है. वो आधुनिक शिक्षा के पक्षधर थे, वो हमेशा से बदलावों की वकालत करते थे, उन्होंने अपने ही समाज की कुरीतियों के, कमियों के खिलाफ बोलने का दम भी दिखाया था.

आपको बता दें भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में ऐसे ही 9 और संग्रहालयों पर तेजी से काम हो रहा है. ख़बरों के अनुसार बहुत जल्द गुजरात के राजपीपला, आंध्र प्रदेश के लम्बासिंगी, छत्तीसगढ़ के रायपुर, केरल के कोझीकोड, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, तेलंगाना के हैदराबाद, मणिपुर के टमिंगलोंग, मिजोरम के कैल्सि में, गोवा के पोंडा में इन संग्राहलयों को हम साकार रूप लेते हुए देखेंगे.