केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम ग्राम सड़क योजना I और II को जारी रखने की दी मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने सड़कों और पुलों के निर्माण के शेषकार्यों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-I और II को सितंबर, 2022 तक जारी रखने से संबंधित ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्तावों को अपनी मंजूरी दे दी है।
सीसीईए ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूईए) को मार्च, 2023 तक जारी रखने के लिए भी अपनी मंजूरी दी।
भारत सरकार ने मैदानी क्षेत्रों में 500 से अधिक जनसंख्या वाली और उत्तर-पूर्व तथा हिमालयी राज्यों में 250 से अधिक जनसंख्या वाली सड़क से वंचित बस्तियों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए पीएमजीएसवाई-I की शुरुआत की।
चयनित वामपंथी उग्रवाद ब्लॉकों में, 100 से अधिक जनसंख्या वाली बस्तियों को भी कनेक्टिविटी प्रदान की जानी थी। ऐसी कुल 1,84,444 बस्तियों में से केवल 2,432 बस्तियां शेष हैं। कुल स्वीकृत 6,45,627 किलोमीटर लंबी सड़कों और 7,523 पुलों में से 20,950 किलोमीटर लंबी सड़कों और 1,974 पुलों के कार्यों को पूरा करना शेष है। इस प्रकार, अब ये कार्य पूरे हो जाएंगे।
पीएमजीएसवाई- II के तहत, 50,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़क नेटवर्क के उन्नयन की परिकल्पना की गई थी। कुल 49,885 किलोमीटर लंबी सड़कों और 765 एलएसबी स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से केवल 4,240 किलोमीटर लंबी सड़कों और 254 पुलों का कार्य शेष हैं। इस प्रकार, अब ये कार्य पूरे हो जाएंगे।
उत्तर-पूर्व और पर्वतीय राज्यों में कोविड लॉकडाउन, ज्यादा समय तक बारिश होने,सर्दी, वन संबंधी मुद्दों के कारण पीएमजीएसवाई- I और II के तहत अधिकांश कार्य लंबित हैं। ये राज्य केंद्र सरकार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था से संबंधित इन महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध करते रहे हैं। इन राज्यों को शेष कार्यों को पूरा करने में मदद करने के लिए समयसीमा को सितंबर,2022 तक बढ़ाया गया है।
9 राज्यों के 44 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में कनेक्टिविटी में सुधार के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों की सड़क संपर्क परियोजना(आरसीपीएलडब्ल्यूईए) 2016 में शुरू की गई थी। 5,714 किलोमीटर लंबी सड़कों और 358 पुलों का कार्य पूरा होना बाकी है और अन्य 1,887 किलोमीटर लंबी सड़कों तथा 40 पुलों को मंजूरी दी जा रही है। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए योजना को मार्च, 2023 तक बढ़ाया जा रहा है, जो संचार और सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
पीएमजीएसवाई ग्रामीण सड़कों के निर्माण में नई और हरित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देती है। किफायती और तेजी से निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सड़क निर्माण में स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है। अब तक नई और हरित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए 1 लाख किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कों का निर्माण किया जा चुका है, जिसमें से 61,000 किलोमीटर से अधिक का काम पूरा हो चुका है।
उत्तर प्रदेश राज्य को हाल ही में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से निर्माण के लिए 1,255 किलोमीटर सड़क की मंजूरी दी गई है, जिससे न केवल लागत और समय की बचत होगी, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा।
पीएमजीएसवाई निर्माण के दौरान और निर्माण के बाद सड़क के निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए त्रिस्तरीय गुणवत्ता आश्वासन तंत्र की परिकल्पना की गई है। बेहतर गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्रीय और राज्य, दोनों स्तरों पर गुणवत्ता मॉनीटरों और निरीक्षणों की संख्या में वृद्धि की गई है। हाल के वर्षों में संतोषजनक कार्यों के अनुपात में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है।
सरकार ने 2019 में मार्च, 2025 तक 1,25,000 किलोमीटर लंबी सड़कों को पूरा करने के लिए पीएमजीएसवाई-III शुरू की। पीएमजीएसवाई -III के तहत अब तक लगभग 72,000 किलोमीटर लंबी सड़कों के निर्माण को स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 17,750 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है।
पीएमजीएसवाई की सभी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 2021-22 से 2024-25 तक राज्य के हिस्से सहित कुल 1,12,419 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है।