अरब देशों में दस्तक दे रहा एक नया धर्म, अमेरिका और इजरायल की बड़ी साज़िश?
खाड़ी देशो में एक नए धर्म को लेकर लगातार बातें हो रही हैं। एक ऐसा धर्म जिसका कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है। मौजूदा वक्त में कोई इस धर्म को मानते भी नहीं हैं। अब तक इस धर्म के अस्तित्व को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा भी नहीं गई है। रिपोर्ट्स की माने तो इस धर्म का नाम अब्राहमिक बताया जा रहा है।
क्या है अब्राहमिक धर्म?
इस नए धर्म का नाम अब्राहमिक है। कई लोग इस धर्म को एक धार्मिक प्रोजेक्ट की तरह देख रहे हैं। यह धर्म इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म का मिश्रण है। इस धर्म का नाम पैगंबर अब्राहम के नाम पर रखा गया है। इसमें इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म की सामान्य बातें शामिल हैं।
कहां से शुरू हुई अब्राहमिक धर्म की चर्चा?
पिछले एक साल से अरब देशों में अब्राहमिक धर्म की बात जारी है और इस धर्म को लेकर अभी से ही कई तरह के विवाद भी छिड़ चुके हैं। इस धर्म के तहत एक ऐसे धर्म का निर्माण करने का विचार है जिसका न कोई फॉलोअर हो, कोई अस्तित्व न हो और न ही कोई ग्रंथ हो। इस धार्मिक प्रोजेक्ट का एक ही मकसद है इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म के आपसी मतभेदों को दूर कर दुनिया में शांति कायम करने का है।
क्या ये कोई राजनीतिक चाल है?
कई लोग अब्राहमिक धर्म और इसके विचारधारा के विरोध में हैं। लोगो का मानना है कि यह शोषण और धोखे की आड़ में एक राजनीतिक चाल है। इस नए धर्म का मुख्य मकसद इजरायल के संबंधों को अरब देशों के साथ बढ़ाना है।
जानकारी के लिए बता दें कि ‘अब्राहमिया’ शब्द का सितंबर 2020 में इस्तेमाल बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात के इजरायल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ शुरू हुआ था।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उनके सलाहकार जेरेड कुशनर द्वारा स्पॉन्सर्ड इस समझौते को ‘अब्राहमियन समझौता’ के नाम से कहा जाता है। अमेरिकी विदेश विभाग का इस समझौते को लेकर कहना है कि अमेरिका तीन अब्राहमिक धर्मों के बीच शांति को बढ़ावा देने के लिए और धार्मिक संवाद का समर्थन करने की कोशिशों को बढ़ावा देता है।