भारत ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में विजन और काम के माध्यम से नेतृत्व किया हैः पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (ईएफ एंड सीसी) मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने भारतीय शहरों में बढ़ती वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए सभी के द्वारा मिलकर कदम उठाने का आह्वान किया।
पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और मध्य प्रदेश के लिए मुंबई में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) पर एक दो दिवसीय संवेदीकरण-सह-समीक्षा कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए यादव ने सभी अधिकारियों और हितधारकों से एक अभियान के रूप में काम करने और यह समझने के लिए कहा कि वायु प्रदूषण से लड़ना सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि मानवता की एक सेवा है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि मेयरों, एनजीओ, छात्रों और जनता को संवेदनशील बनाते हुए स्वच्छ हवा हासिल करने के लिए जन भागीदारी अहम है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा, “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ऐसे समाधान तैयार करने के लिए है, जिससे समाज में सभी अच्छी तरह से रह सकें।” उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि अक्टूबर-नवंबर 2021 में यूके के ग्लासगो में आयोजित सीओपी-26 के दौरान भारत ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में विजन और कम के माध्यम से कैसे नेतृत्व किया है।
उन्होंने कहा, “भारत ने न सिर्फ अपने विजन और काम के दम पर, बल्कि पर्यावरण के मामले में विकासशील देशों के लिए आवाज बनकर भी एक मिसाल पेश की है।” साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को हरित और नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हम 2030 तक 500 गीगावाट (जीडब्ल्यू) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने और कार्बन उत्सर्जन को 2070 तक शून्य करने के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है।”
भारत के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को दोहराते हुए यादव ने कहा, “हमने यूके के साथ मिलकर आपदा लचीला इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया है। इसके साथ ही, भारत, यूके और ऑस्ट्रेलिया ने फिजी, जमैका, मॉरिशस आदि छोटे देशों के साथ मिलकर आईआरआईएस (इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर रिसाइलेंट आइसलैंड स्टेट्स) नाम का संगठन बनाया है और मिलकर एक करोड़ डॉलर दान में देने का फैसला किया है।” प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बारे में, भारत इसरो के सैटेलाइट्स की सहायता से इन द्वीपीय देशों को समयबद्ध तरीके से चक्रवातों, कोरल-रीफ निगरानी, तट रेखा की निगरानी आदि से जुड़ी जानकारी साझा करेगा।
उन्होंने यह भी दोहराया कि यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट एक्शन समिट में भारत और स्वीडन की अगुआई में एक नए नेतृत्व समूह की घोषणा की गई है, जो दुनिया के सबसे भारी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक उद्योगों को निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर होने के लिए मार्गदर्शन करने में मदद करेगा। फ्रांस के साथ मिलकर भारत ने 2015 में इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) की पहल की है, जो 102 देशों का गठबंधन है। उन्होंने बताया कि अमेरिका इस गठबंधन का सबसे नया सदस्य है।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को समग्र रूप से देश में वायु प्रदूषण की समस्या से पार पाने के लिए एक दीर्घकालिक, समयबद्ध, राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य 2017 को आधार वर्ष मानते हुए 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर कंसट्रेशंस में 20 से 30 प्रतिशत तक कमी हासिल करना है। एनसीएपी के तहत, 2014-18 के बीच के वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के आधार पर देश के 132 नॉन अटेनमेंट सिटीज (एनए सिटीज) की पहचान की गई है। एनए शहरों की सूची में सभी आकार और प्रकार के विविध शहरों का मिश्रण शामिल है। मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन, पुणे, नागपुर, नासिक, औरंगाबाद, कोल्हापुर आदि कई बड़े शहर हवा की खराब गुणवत्ता के चलते एनए शहरों की सूची में शामिल हैं।
शहर केंद्रित कार्य योजनाएं तैयार की गई हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निगरानी नेटवर्क को मजबूत करने, वाहनों/औद्योगिक उत्सर्जन को कम करने, जन जागरूकता बढ़ाने आदि के उपाय शामिल हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए संवेदनशील बनाने और विचारों के आदान प्रदान व सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है।