संविधान दिवस के मौके पर विपक्ष के नहीं पहुंचने पर PM मोदी ने कहा- ‘यह लोकतंत्र के लिए…’
देश के 71वे संविधान दिवस को संसद में मनाया गया, लेकिन इस मौके पर विपक्ष संसद से नदारद दिखा। संसद से देश की जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी, साथ ही विपक्ष को भी आड़े हाथ लिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 22 मिनट के भाषण में कहा- हमारा संविधान केवल अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है। हमारा संविधान कई वर्षों की महान भारतीय परंपरा की अखंड धारा की अभिव्यक्ति है। पीएम ने आगे कहा कि जब संविधान बनाया गया तब देशहित सबसे ऊपर था। संविधान ने अनेक बोलियो, पंथ और राजे-रजवाड़ों को एक सूत्र में बांधा। शायद आज हम संविधान का एक पूरा पेज भी नहीं लिख पाते, क्योंकि आज नेशन फर्स्ट के चलते देशहित पीछे छूट जाता है।
मोदी ने आगे अपने भाषण में विपक्ष को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरते हुए कहा कि ‘कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाइए। भारत एक संकट की ओर बढ़ रहा है। इस संकट का नाम है पारिवारिक पार्टीयां। पार्टी फॉर द फैमिली, पार्टी बाई द फैमिली और इससे आगे कहने की जरूरत ही नहीं लगती। ये लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। संविधान हमें जो बताता है, यह उसके विपरीत है। जब मैं कहता हूं कि पारिवारिक पार्टियां, तो मैं ये नहीं कहता कि एक परिवार के लोग राजनीति में ना आएं, लेकिन योग्यता के आधार पर जनता का आर्शीवाद लेकर वो राजनीति में आएं। अगर पार्टी को पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक ही परिवार चलाता रहे, तो यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कर्तव्यों के साथ आधिकारों की माध्यम से आधिकारों के रक्षा की भी बात की। उन्होंने कहा, ‘आज यह बहुत जरूरी है कि हम कर्तव्य के माध्यम से अधिकारों की रक्षा के रास्ते पर चलें। कर्तव्य ही वह पथ है जो सम्मान के साथ दूसरों को अधिकार देता है। आज हमारे अंदर यही भाव जागना चाहिए कि हम कर्तव्य के रास्ते पर चलें। इसे हम जिनती ज्यादा निष्ठा से मानेंगे, उतना ही सभी के अधिकारों की रक्षा होगी। आगे विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए पीएम मोदी ने कहा, यह किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं था। ना ही किसी प्रधानमंत्री का था। यह कार्यक्रम स्पीकर पद की गरिमा थी। हम संविधान की गरिमा बनाए रखें और कर्तव्य पद पर चलते रहें।