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‘कोविड ने हमें याद दिलाया है कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह भी हमारे स्वास्थ्य और भलाई को निर्धारित करती है’: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने घरों की योजना और निर्माण के लिए अपनाए जा रहे तरीकों पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया ताकि भवनों के भीतरी भागों (इनडोर) में उचित वायु परिसंचरण और धूप का पहुंचना सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने हमे समय पर याद दिलाया है कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह हमारे स्वास्थ्य और भलाई को भी निर्धारित करती है।

नायडु ने उन शोध अध्ययनों का उल्लेख किया जो यह दिखाते हैं कि सामान्य सांस लेने या बात करने से भी विषाणुओं (वायरस) का हवा में संचरण हो सकता है क्योंकि वायरस घंटों तक हवा में निलंबित रहते हैं। उन्होंने कहा कि खराब वायु संचरण (वेंटिलेशन) वाले भीड़भाड़ के स्थान वहां स्थिर हवा के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों के लिए उच्च संक्रमण का खतरा पैदा कर सकते हैं।

इस संबंध में, उन्होंने पर्याप्त वायु संचरण (वेंटिलेशन) और प्राकृतिक प्रकाश के साथ रहने और काम करने की जगह बनाने का आह्वान किया और चिकित्सा समुदाय से इस संदेश को लोगों तक ले जाने का आग्रह किया।

इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी पर दूसरे वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन-ब्रोंकस- (बीआरओएनसीएचयूएस) 2021 का उप राष्ट्रपति निवास से आभासी (वर्चुअल) रूप से उद्घाटन करते हुए, नायडु ने कहा कि लोग महामारी के बाद श्वसन स्वास्थ्य के महत्व के बारे में अधिक जागरूक हुए हैं। उन्होंने टिप्पणी की कि तंबाकू के उपयोग से होने वाले फेफड़े और गले के कैंसर के उपचार पर – सरकार और नागरिक समाज दोनों की अधिक से अधिक सार्वजनिक पहुंच होनी चाहिए।

नायडु ने विशेषकर सर्दियों के महीनों के दौरान प्रमुख शहरों में बाहरी वायु की बिगडती गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की। जलवायु परिवर्तन और वाहनों के प्रदूषण को इनके प्रमुख योगदान कारकों के रूप में इंगित करते हुए, उन्होंने स्थायित्व के अनुसार विकास के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर एक गंभीर पुनर्विचार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने लोगों से अपनी जीवन शैली का मूल्यांकन करने और अपने कार्बन उपयोग को यथासंभव घटाने का प्रयास करने के लिए भी आह्वान किया।

फुफ्फुस विज्ञान (पल्मोनोलॉजी) के क्षेत्र में रोबोटिक्स और कन्फोकल माइक्रोस्कोपी में प्रगति का उल्लेख करते हुए, श्री नायडु ने कहा कि भारत में कई उन्नत नैदानिक ​​​​और चिकित्सीय प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं और यह तेजी से दुनिया में पसंदीदा चिकित्सा पर्यटन स्थल बन रहा है।

उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना किए जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वे इस संबंध में अपनी शहरी सुविधाओं के उपग्रह केंद्र खोलकर सरकार के प्रयासों को पूरा करें।

उन्होंने कहा, “हमारे गांवों को विश्व स्तरीय टेलीमेडिसिन सुविधाएं प्रदान करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और दूरसंचार के क्षेत्र में भारत की पारंपरिक क्षमता का पूरी तरह से उपयोग किया जाना चाहिए।” उन्होंने स्वास्थ्य सेवा उद्योग में हितधारकों से आम आदमी के लिए स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले खर्च को कम करने और स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सस्ती और सुलभ बनाने का भी आग्रह किया।

यह विश्वास व्यक्त करते हुए कि अब टीकाकरण तेजी से चल रहा है इसलिए भारत महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से पार पा लेगा, उन्होंने सभी हितधारकों को कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए टीम इंडिया के रूप में काम करने के लिए बधाई दी।

भारत में श्वसन (सांस) संबंधी विकारों सहित गैर-संचारी रोगों की बढ़ती चुनौती को देखते हुए उपराष्ट्रपति ने युवाओं को स्वस्थ और अनुशासित जीवन शैली अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि “गतिहीन आदतों एवं अस्वास्थ्यकर आहार से बचें और योग करने अथवा साइकिल चलाना नियमित शारीरिक गतिविधि अपनाएं।’’