एक ऐसा ग्रह जहां होती है हीरों की बरसात, जरूर जानें
क्या आप जानते है कि धरती से दूर एक ऐसा ग्रह है जहां हीरे की बरसात होती हैं ? दरअसल, हमारा जो सौर मंडल है उसमें चार ग्रह है जिसे ‘गैस दानव’ के नाम से भी जाना जाता हैं।लेकिन सौर मंडल से जुड़ी एक एक ख़ास बात क्या आप लोगों को पता है कि इन चारों ग्रहों में से एक ग्रह में हीरे की बरसात होती हैं। शायद आप में इस बारे में कोई जानता होगा तो कोई नहीं। आज हम आपको बताते हैं इस बरसात के पीछे छिपे रहस्य के बारे में।
सौर मंडल को गैस दानव इसीलिए भी कहा जाता है क़्युकी इन चारों ग्रहों पर मिट्टी- पत्थर की जगह अधिक मात्रा में गैस मौजूद होती है। जिसका आकार काफ़ी बड़ा होता है। ये चार ग्रह है वरुण (नेपच्यून), ब्रहस्पति (जूपिटर), शनि(सैटर्न ) और अरुण (युरेनस) हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें, पूरे सौर मंडल में वरुण यानी कि नेपच्यून सबसे ज़्यादा ख़तरनाक ग्रह है । इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि वंहा का तापमान 0 से भी 200 डिग्री सेल्सीयस से भी नीचे रहता हैं। शायद आप सोच भी नही सकते कि वहां का तापमान कितना कम रहता है । अगर कोई इंसान वंहा पहुँच जाए तो वो पत्थर का बन जाए।
आपको बता दें, कि वरुण सौर मंडल का एक ऐसा पहला ग्रह है जिसका अस्तित्व है। इसकी जानकारी पहले ही कर ली गयी थी। ऐसा तब पता चला जब अरुण यानी कि (युरेनस) की परिक्रमा में कुछ गड़बड़ी देखी गयी थी।
वरुण को पहली बार 23 सितंबर, 1846 को दूरबीन से देखा गया था। जिसके बाद इस ग्रह का नाम नेपच्यून रख दिया गया था । नेपच्यून एक प्राचीन रोमन धर्म में समुद्र के देवता थे। इसी जगह भारत में वरुण देवता ठीक यहां पाए गए थे। इसीलिए इसे वरुण कहा जाता हैं। क़्युकी हमारी हिंदी भाषा में इसका अर्थ वरुण हैं।
बता दें, कि रोमन धर्म में नेपच्यून देवता के हाथ में त्रिशूल हुआ करता था , इसलिए वरुण का खगोलशास्त्रिय चिन्ह ‘♆’ ये हैं।
इस वरुण ग्रह की एक ख़ास बात ये है कि इसपर जमी हुई मीथेन गैस के बादल उड़ते हैं और यहां हवाओं की रफ्तार भी सौर मंडल के दूसरे ग्रहों से काफी ज्यादा होती है। यहां मीथेन की सुपरसोनिक हवाओं को रोकने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है, इसलिए इसकी रफ्तार 1,500 मील प्रति घंटे तक पहुंच जाती हैं।
एक और ख़ास बात इस वरुण ग्रह कि ये है कि वायुमंडल में काफ़ी सारे मिले हुए कार्बन होने की वजह से वहां हीरे की बारिश भी होती हैं। एक और बात बताए कि अगर कोई इंसान इस ग्रह पर पहुँच जाए तो वो कभी इन हीरों को बटोर नहीं पाएगा, क़्युकी यहां का तापमान इतना कम होता हैं जिस वजह से ये हीरे वहीं जम जाते हैं।