भारतीय वाहन उद्योग को उभरते क्षेत्रों में बड़े अवसरों से लाभ उठाना चाहिए: डॉ. पांडेय
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा है कि भारतीय वाहन क्षेत्र को वैश्विक होना चाहिए और वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन बाजार की बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए। यह उन्हें बड़ा आकार और बड़ा पैमाना हासिल करने के लिए प्रेरित करेगा।
भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) द्वारा आज गोवा में इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचालन को बढ़ावा देने के लिए आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए, डॉ पांडेय ने भारतीय उद्योग को उभरते क्षेत्रों में आने वाले बड़े अवसरों से लाभ उठाने का आह्वान किया “वे वैश्विक स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्राप्त कर सकते हैं।”
मंत्री ने आगे कहा कि वाहन उद्योग की वृद्धि निश्चित रूप से हमें सीओपी 26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए “पंचामृत” मंत्र के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्राप्त करने में मदद करेगी और भारतीय युवाओं को रोजगार के बड़े अवसर प्रदान करेगी। मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि प्रौद्योगिकी के भविष्य के रूप में ‘इलेक्ट्रिक वाहनों’ को बढ़ावा देने के साथ वैश्विक मोटर वाहन परिदृश्य में बड़ा परिवर्तन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों के पुर्जे में नवाचार और तकनीकी सफलताएं इसको उत्प्रेरित कर रही हैं। इसलिए भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और इसके इस्तेमाल में तेजी लाना आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘हमें भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों का विनिर्माण केंद्र बनाने की भी जरूरत है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इलेक्ट्रिक वाहन प्रणाली में भारत के विकास से 2030 तक अकेले तेल आयात में 20 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
(फेम इंडिया II) योजना का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि भारी उद्योग मंत्रालय हमारी राष्ट्रीय प्रमुख योजनाओं जैसे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाने और विनिर्माण (फेम इंडिया II) योजना, उन्नत रसायन विज्ञान सेल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एसीसी) और मोटर वाहन तथा वाहन के कल-पुर्जे के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के माध्यम से इसके परितंत्र का समर्थन कर रहा है।
उन्होंने बताया कि इन तीन प्रमुख योजनाओं को सरकार द्वारा कुल 54,038 करोड़ रुपये के व्यय के साथ स्वीकृत किया गया है। फेम-II योजना अग्रिम सब्सिडी प्रदान करके और ईवी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाकर इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को प्रोत्साहित करती है। इस योजना में 10 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन, पांच लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन, 55,000 इलेक्ट्रिक कार और 7,090 इलेक्ट्रिक बसों की मांग में सहयोग करने की परिकल्पना की गई है।
मोटर वाहन और वाहन के पुर्जे के लिए पीएलआई योजना के बारे में बात करते हुए, डॉ पांडेय ने कहा कि यह भारत में उच्च प्रौद्योगिकी से लैस वाहनों और उनके उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से 42,500 करोड़ रुपये से अधिक का नया निवेश होगा और 7.5 लाख से अधिक नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
डॉ. पांडेय ने आगे कहा कि साझा, कनेक्टेड और इलेक्ट्रिक वाहन का विकास भारत के लिए स्थिरता, रोजगार सृजन और मेक इन इंडिया ’के माध्यम से विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन हम सभी को भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए रणनीति बनाने और भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरी और उच्च प्रौद्योगिकी वाले वाहन के पुर्जे के निर्माण में निवेश आकर्षित करने में मदद करेगा।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक रूपांतरित ई-मोबिलिटी इकोसिस्टम के लिए विविध हितधारक समूहों में भागीदारी और सहयोग की आवश्यकता होगी।
मूल्य की दृष्टि से भारतीय वाहन उद्योग विश्व में 11वें स्थान पर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय वाहन उद्योग उन्नत वाहन प्रौद्योगिकी उत्पादों में नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर, कम मूल्य, कम प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों को बनाने में सफल रहा है। 1.5 ट्रिलियन डॉलर के वैश्विक वाहन व्यापार में 27 अरब डॉलर के कुल निर्यात के साथ भारत का हिस्सा दो प्रतिशत से भी कम है। उन्नत वाहन कलपुर्जा उद्योग में भारत की हिस्सेदारी केवल 3 प्रतिशत है, जबकि विश्व स्तर पर कुल वाहन उद्योग का 18 प्रतिशत है, जिसके 2030 तक बढ़कर 30 प्रतिशत होने का अनुमान है।