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राज्यों को शासन में एक-दूसरे की उत्तम कार्यप्रणाली का अनुकरण करना चाहिए: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राज्यों को एक-दूसरे के शासन की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली का अनुकरण करना चाहिए।

भुवनेश्वर में ‘सुशासन की कार्यप्रणाली का अनुकरण’ पर आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ.- जितेंद्र सिंह ने कहा कि नागरिक केंद्रित प्रशासन मोदी सरकार के शासन मॉडल का मुख्य ध्येय है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार में शासन की बेहतर गुणवत्ता की दिशा में बदलाव राज्यों और जिलों में परिलक्षित होना चाहिए, क्योंकि इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी शासन प्रदान करना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शासन में सर्वोत्तम कार्यप्रणाली का अनुकरण सभी राज्यों द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छी कार्यप्रणाली साझा होने पर सर्वोत्तम कार्यप्रणाली बन जाती है और उनमें से कुछ निष्पादन में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं और उच्च मानक भी स्थापित कर सकते हैं।

उन्‍होंने सभी प्रतिभागियों से सुशासन की इन प्रणालियों, केंद्र राज्य और जिलों के प्रशासनिक नवाचारों का अनुकरण करने की अपील की ताकि ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ के सिद्धांत के साथ एक नागरिक केंद्रित प्रशासनिक संरचना को जमीनी स्तर पर महसूस किया जा सके।

भारत सरकार की ओर से जन शिकायतों के निवारण के लिए सीपीजीआरएएमएस जैसे सुशासन को लेकर शुरू की कई पहलों का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अमल में लाए गए उल्लेखनीय सुधारों से रेलवे टिकटों को रद्द करने में पैसे की वापसी, वितरण बैंकों के माध्यम से सिंगल विंडो पेंशन, कोचों की गहन मशीनीकृत सफाई, आयकर रिटर्न का इलेक्ट्रॉनिक-सत्यापन, 50,000 रुपये तक का त्वरित आयकर रिटर्न का स्वचालित रिफंड सुनिश्चित किया है।

मंत्री ने कहा ”प्रधानमंत्री हमेशा प्रौद्योगिकी के इष्टतम उपयोग पर जोर देते हैं और मंत्रालय इसका सर्वोत्तम तरीके से उपयोग कर रहा है।’’

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 2014 की घटना याद दिलाई, जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी। उस समय शिकायत निवारण में कुछ कमियां को दूर करने की आवश्यकता महसूस की गई थी और इस दिशा में कदम उठाए गए थे। उन्होंने बताया कि जब नई सरकार सत्ता में आई थी, उस सयम हर साल करीब 2 लाख शिकायतें आती थीं और अब यह संख्या छह गुना बढ़ गई है, क्योंकि लोगों ने अपनी समस्याओं और शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार की मंशा पर विश्वास जताया है।

उन्होंने संतोषप्रद तरीके से यह भी जिक्र किया कि आज विभागों में शिकायत निपटान की दर 90-95 फीसदी के बीच है, जो नागरिकों के विश्वास की एक मिसाल है कि वे मानते हैं कि कोई है जो इन शिकायतों का प्रतिचित्रण कर रहा है और समयबद्ध तरीके से इसे स्वीकार करने तथा आखिरकार उचित तरीके से निवारण करने की आशा है।

वर्चुअल मोड के माध्यम से सम्मेलन को संबोधित करते हुए ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक ने कहा कि सुशासन में क्षमता निर्माण, लक्ष्यों के साथ रणनीतियों में मिलान करना, जवाबदेह होना, उच्च स्तर की नैतिकता और निष्ठा होना, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को परिभाषित करना तथा सबसे बढ़कर सरकार के सभी हस्तक्षेपों में जन-समर्थक दृष्टिकोण होता है। श्री पटनायक ने कहा, ”सुशासन आखिरकार बदलाव का सबसे बड़ा साधन है और लोगों के प्रति हम सबकी वास्तविक जिम्मेदारी है।’’

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सचिव संजय सिंह ने कहा कि यह क्षेत्रीय सम्मेलन सर्वोत्तम प्रणाली के अनुकरण और इसकी स्थिरता सुनिश्चित करने का एक उपकरण है।

’’सर्वोत्तम कार्यप्रणाली को संचित करने की मेकेनिज्म लाने और यह देखने की जरूरत है कि इसका अनुकरण चिरस्थाई तरीके से आने की आवश्यकता है और यह देखने के लिए कि स्थायी तरीके से इसका अनुकरण करने की जरूरत है।’’

ओडिशा सरकार के योजना और अभिसरण मंत्री पद्मनाभ बेहरा ने शासन में अधिक पेशेवराना अंदाज और दक्षता लाने के लिए ओडिशा की पहल पर प्रकाश डाला। ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव सुरेश चंद्र महापात्र ने ऐसे सम्मेलन के लिए भारत सरकार का आभार जताया जो शासन की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली को अपनाने के मामले में एक दूसरे से सीखने का मंच प्रदान करता है।

डीएआरपीजी के अपर सचिव श्रीनिवास ने बताया कि वर्ष 2020-21 के दौरान 12 राज्यों पोर्टलों को सीपीजीआरएएमएस के साथ एकीकृत किया गया है, जबकि 15 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश लोक शिकायतों के निवारण के लिए सीपीजीआरएएमएस का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक पोर्टल एक राष्ट्र लक्ष्य है और इस दिशा में राज्य शिकायत पोर्टलों के साथ केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस का एकीकरण किया जा रहा है।

सम्मेलन में 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने शारीरिक रूप से हिस्सा लिया जबकि पूर्वी और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के 15 राज्यों से लगभग 250 प्रतिनिधि वर्चुअल माध्यम से सम्मेलन से जुड़े हुए थे।