जल जीवन मिशन के अंतर्गत महाराष्ट्र को केंद्रीय अनुदान के रूप में 1,667 करोड़ रुपए जारी किए गए
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश भर के हर ग्रामीण घर में नल के पानी के कनेक्शन प्रदान करने की व्यवस्था बनाने को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। महाराष्ट्र में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए, भारत सरकार ने राज्य को 1,666.64 करोड़ रुपये जारी किए।
जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए राज्य को 2021-22 के लिए 7,064.41 करोड़ रुपये की केंद्रीय निधि आवंटित की गई है, जो कि 2020-21 के लिए आवंटन का लगभग चार गुना है।
राज्य में 142.36 लाख ग्रामीण परिवार हैं, जिनमें से 96.46 लाख घरों (67.76 प्रतिशत) में नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध है। राज्य ने 2021-22 में, 27.45 लाख घरों में नल के पानी के कनेक्शन प्रदान करने की योजना बनाई है।
केंद्र सरकार द्वारा जल जीवन मिशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। वित्त वर्ष 2021-22 में बजटीय आवंटन में भारी वृद्धि की गई। पिछले वर्ष में 23,022 करोड़ रुपये की तुलना में मौजूदा वित्त वर्ष में 92,309 करोड़ रुपये जारी किए गए।
इसके अलावा वर्ष 2021-22 में ग्रामीण स्थानीय निकायों/पीआरआई को जल एवं स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग के अनुदान के रूप में महाराष्ट्र को 2,584 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और इसके साथ ही ग्रामीण स्थानीय निकायों को अगले पांच वर्षों यानी वर्ष 2025-26 तक के लिए 13,628 करोड़ रुपये का सुनिश्चित वित्त पोषण किया गया है।
जल जीवन मिशन को ‘नीचे से ऊपर’ के दृष्टिकोण के बाद विकेन्द्रीकृत तरीके से कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें स्थानीय ग्राम समुदाय, योजना के कार्यान्वयन और प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए राज्य पानी समिति को मजबूत करने और ग्राम कार्य योजना को विकसित करने के साथ-साथ ग्राम सभा में उसे मंजूरी देने जैसी गतिविधियों की स्वीकृति देता है, जिसमें समुदाय उनके लिए लागू की जाने वाली जलापूर्ति योजनाओं पर विचार-विमर्श करता है।
इस कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि वे हर घर में पहली जल प्रबंधक हैं। अभियान के बारे में जनता में जागरूकता पैदा करने, उन्हें सुरक्षित पानी के महत्व के बारे में जागरूक करने, समुदाय के साथ जुड़ने और कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए पंचायती राज संस्था को समर्थन देने के लिए विभाग द्वारा कार्यान्वयन सहायता एजेंसियां (आईएसए) लगी हुई हैं।
महाराष्ट्र ने 2.74 लाख हितधारकों की क्षमता बनाने की योजना बनाई है जिसमें सरकारी अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी, अभियंता, ग्राम जल और स्वच्छता समिति, निगरानी समिति और पंचायत सदस्य शामिल हैं। कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य में लगभग 4.15 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। राजमिस्त्री, प्लम्बर, फिटर, इलेक्ट्रीशियन एवं पंप संचालक के रूप में कार्य करने के लिए स्थानीय लोगों की कुशलता सुनिश्चित की जायेगी। गांवों में कुशल और अर्धकुशल वर्गों के अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराने की ऐसी पहल, गांवों में आय सृजन के अवसर प्रदान करेगी।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए, देश में आम जनता के लिए 2,000 से अधिक जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं खोली गई हैं ताकि वे जब चाहें नाममात्र की लागत पर अपने पानी के नमूनों की जांच करवा सकें। महाराष्ट्र में 177 जल परीक्षण प्रयोगशालाएं उपलब्ध हैं।
सभी विद्यालयों और आंगनबाडी केन्द्रों में पीने का पानी, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए नल के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक, महाराष्ट्र में 72,032 स्कूलों (84 प्रतिशत) और 73,377 (80 प्रतिशत) आंगनवाड़ी केंद्रों में नल के पानी की आपूर्ति की गई है।
2019 में अभियान के शुरुआत में, देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) परिवारों के पास नल के पानी की आपूर्ति थी। कोविड-19 महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के कारण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, मिशन के शुभारंभ के बाद से 5.38 करोड़ (28 प्रतिशत) से अधिक घरों को नल के पानी की आपूर्ति प्रदान की गई है। वर्तमान में, 8.61 करोड़ (45 प्रतिसह्त) ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल के माध्यम से पीने योग्य पानी मिलता है।
गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पुद्दुचेरी और हरियाणा ‘हर घर जल’ वाले राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं, यानी ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन का 100 प्रतिशत कवरेज वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। महाराष्ट्र का लक्ष्य 2024 तक ‘हर घर जल’ राज्य बनना है।
प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के सिद्धांत के बाद, मिशन का आदर्श वाक्य है कि ‘कोई भी छूटा नहीं है’ और प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराया जाता है। वर्तमान में 83 जिलों के प्रत्येक घर और 1.26 लाख से अधिक गांवों में नल से पानी की आपूर्ति हो रही है।