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रामनाथ कोविंद ने अभिभाषण के दौरान किन बातों का जिक्र किया

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से आज बजट सत्र की शुरुआत हुई। उनके अभिभाषण के दौरान जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अनुच्छेद-370 और राम मंदिर निर्माण शुरू होने का जिक्र आया तो सांसदों ने काफी देर तक तालियों से अभिवादन किया। एक घंटे चले राष्ट्रपति के अभिभाषण में राष्ट्रपति ने हाल ही की सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं और उपलब्धियों का ब्यौरा दिया। इसके अलावा, राष्ट्रपति ने सीमा पर चीन के साथ हुए हिंसक झड़प के बारे में बात करते हुए देश के वीर सैनिकों के शौर्य की सराहना की करते हुए बलिदानी जवानों का भी जिक्र किया।

इस दौरान, राष्ट्रपति कोविंद ने गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुए हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, “पिछले दिनों तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए।”

राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में संयुक्त राष्ट्र में अस्थायी सदस्यता, ब्रिक्स में अध्यक्ष बनने से लेकर अयोध्या श्रीराम मंदिर निर्माण तक में देश की उल्लेखनीय प्रगति का भी जिक्र किया। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार के उल्लेखनीय गतिविधियो के बारे में भी बात की। राष्ट्रपति ने कहा, “ऐसे अनेक निर्णय हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में लिए गए। मेरी सरकार ने दिखाया है कि नीयत साफ हो, इरादे बुलंद हों तो बदलाव लाया जा सकता है। इन वर्षों में मेरी सरकार ने जितने लोगों के जीवन को छुआ है, वह अभूतपूर्व है।”

राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और छह संसद सदस्यों के निधन पर दुख जताया और श्रद्धांजिल अर्पित की। राष्ट्रपति ने सरकार की बैंकिंग व्यवस्था के बारे में भी बात करते हुए कहा, “इसके लिए 41 करोड़ से अधिक गरीबों के जनधन खाते खोले गए। इनमें से आधे से अधिक खाते हमारी गरीब बहनों और बेटियों के हैं।”

कृषि कानूनों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘‘व्यापक विमर्श के बाद संसद ने सात महीने पूर्व तीन महत्वपूर्ण कृषि सुधार, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पारित किए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन कृषि सुधारों का सबसे बड़ा लाभ भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हुआ। छोटे किसानों को होने वाले इन लाभों को समझते हुए ही अनेक राजनीतिक दलों ने समय-समय पर इन सुधारों को अपना भरपूर समर्थन दिया था।’’

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