राजनाथ सिंह ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की विजय के 50 साल पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की विजय की स्वर्णजयंती के अवसर पर 16 दिसबर, 2021 को नई दिल्ली में भारतीय डाक द्वारा तैयार विशेष दिवस आवरण और स्मारक डाक टिकट जारी किया। इसके साथ ही दिसंबर 2020 में शुरू हुए वर्ष भर के ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ समारोहों का भी समापन हुआ।
पाकिस्तानी सशस्त्र सेनाओं के आत्मसमर्पण और उस पर भारतीय सेनाओं की निर्णायक विजय की याद में 16 दिसंबर को प्रतिवर्ष ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन पाकिस्तान की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अमीर अब्दुला खान नियाज़ी ने पूर्वी क्षेत्र में अपनी निर्णायक पराजय को स्वीकार करते हुए आत्मसमर्पण के कागजों पर दस्तखत किए थे।
भारत की ओर से पूर्वी क्षेत्र के भारत और बांग्लादेश की सेनाओं के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने इन कागजात पर दस्तखत किए थे। इस आत्मसमर्पण कार्यक्रम में पूर्वी नौसैनिक कमान के फील्ड ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल एन कृष्णन और पूर्वी वायुसैनिक कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल एच सी दीवान भी उपस्थित थे।
सन् 1971 में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय वायुसेना के बहुत से अड्डों पर अचानक हमले शुरू कर दिए थे, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध छिड़ गया। भारतीय सेनाओं ने पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर भूमि, जल और आकाश से इन अकारण किए गए हमलों का तत्काल जवाब दिया था।
भारतीय सशस्त्र सेनाओं द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान स्थिति ढाका को अपने कब्जे में ले लिया और करीब 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों से आत्मसमर्पण कराया तथा एक नए स्वतंत्र देश बांग्लादेश का उदय हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से किसी देश की सेना द्वारा किया यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।
1971 की यह ऐतिहासिक विजय हमारी सशस्त्र सेनाओं के कमांडरों और जवानों द्वारा प्रदर्शित अदम्य साहस और शौर्य तथा उच्च स्तर पर तैयार अतुल्य योजना, गतिशील नेतृत्व और विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शित एकजुटता का परिणाम था। यह डाक टिकट हमारी सेना के जवानों, नाविकों और वायुसैनिकों के साहस और दृढ़ता का संकेत देता है, जिन्हें उनके नेताओं ने प्रेरणा और दिशा दी और जो अपने कर्तव्य के प्रति सचेत थे।
दूसरी ओर दुश्मन के लिए आत्मसमर्पण के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। इस युद्ध की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि भारतीय रक्षा सेनाओं के तीनों हिस्सों ने पूरी एकजुटता और समावेशिता के साथ इस युद्ध में लड़ कर विजय हासिल की। इस युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम बांग्लादेश के स्वतंत्रता अभियान की सफलता थी।
यह डाक टिकट भारतीय उप-महाद्वीप के इस सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम की याद में जारी किया गया है। डाक टिकट के बीचोंबीच ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ का लोगो स्थित है। इस डाक टिकट का डिजाइन भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर कुशल चंद्रशेखर ने तैयार किया है। इस डाक टिकट का चयन अक्टूबर-नवंबर 2020 में आयोजित अखिल भारतीय स्पर्धा में किया गया। यह डाक टिकट स्पिरिट डी कोर्प्स तथा भारतीय सशस्त्र सेनाओं के साथ-साथ भारत-बांग्ला सेनाओं द्वारा प्रदर्शित एकजुटता की भावना की भी याद दिलाता है।
भारतीय डाक विभाग- इंडिया पोस्ट अपनी संकल्पना के दिनों से ही ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को इसी तरह स्मरण करते हुए स्मारक टिकट जारी करता रहा है।
‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ डाक टिकट को जारी कर भारत अपनी सशस्त्र सेनाओं के साहस और पेशेवरता का जश्न मना रहा है और अपने पुराने मित्र और करीबी पड़ोसी बांग्लादेश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहरा रहा है।