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उन्नत मौद्रिक नीति प्रसार, रेपो रेट में 115 बीपीएस तक की कटौती

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा, 2020-21 पेश करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के अप्रत्याशित संकंट को देखते हुए मार्च 2020 से मौद्रिक नीति को काफी सरल बना दिया गया है।

मौद्रिक नीति प्रसार

आर्थिक समीक्षा के अनुसार मार्च 2020 से रेपो दर में 115 बेसिक अंकों की कटौती की गई और मार्च, 2020 में पहली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में 75 बेसिक अंकों की और मई, 2020 में दूसरी बैठक में 40 बेसिक अंकों की कटौती की गई। भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में तरलता की स्थिति को प्रबंधित करने के पारंपरिक और अपारंपरिक उपायों को अपनाते हुए 2021-21 में प्रणालीगत भुगतान साधनों की आधिक्यता बनाए रखी। इस वर्ष जमा और उधार दरों में पॉलिसी रेपो दरों के हस्तांतरण में भी सुधार देखा गया और नए रूपए ऋण (फ्रैश रूपी लोन्स) और बकाया रूपए ऋण (आउटस्टेंडिंग लोन्स) पर भारित औसत ऋण दर में क्रमशः 94 बेसिक अंकों और 67 बेसक अंकों की कमी दर्ज की गई। इसी प्रकार से, इसी अवधि के दौरान, भारित औसत घरेलु सावधि जमा दर में 81 अंकों तक की कमी हुई।

बैंकिंग क्षेत्र

अधिसूचित व्यवसायिक बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति दर भी मार्च 2020 के अंत में 8.21 प्रतिशत से सितंबर 2020 के अंत तक घटकर 7.49 प्रतिशत पर पहुँच गई। आर्थिक समीक्षा के मुताबिक इसके साथ-साथ महामारी के कारण उधारकर्ताओं को परिसम्पत्ति वर्गीकरण राहत भी प्रदान की गई।

इसके अलावा, आर्थिक समीक्षा के मुताबिक अधिसूचित व्यवसायिक बैंकों की जोखिम-भारिता परिसंपत्ति दर की पूँजी में भी निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र के बैंकों में सुधार के साथ मार्च 2020 से सितम्बर 2020 के बीच 14.7 प्रतिशत से 15.8 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई।

दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता

बजट-पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, आईबीसी (इसके शुभारंभ से) के माध्यम से अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए रिकवरी दर 45 प्रतिशत से अधिक हुई है। महामारी के कारण, कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) की पहल को स्थगित कर दिया गया था। स्थगन के साथ जारी क्लीयरेंस के कारण संचयी मामलों में हल्की गिरावट दर्ज की गई।

समीक्षा के मुताबिक, हालाकि दोनों बैंकों और ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कॉरपोरेशनों के द्वारा बकाया ऋण वृद्धि के कारण वास्तविक अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय प्रवाह स्थिर रहे। रिवर्स रेपो के तहत आरबीआई के साथ बैंकों के द्वारा जमा न्यून (समायोजित) धन के कारण उच्चतर रिजर्व धन वृद्धि को धन आपूर्ति वृद्धि में परिवर्तित नहीं किया जा सका। 1 जनवरी, 2021 को बैंकों की ऋण वृद्धि में कमी आते हुए यह 6.7 प्रतिशत तक आ गई। बैंकिंग क्षेत्र में क्रेडिट ऑफ के कारण भी 2020-21 व्यापक स्तर पर स्लोडाउन की साक्षी रहा।

समीक्षा के मुताबिक 20 जनवरी, 2021 को निफ्टी 50 और एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स रिकॉर्ड छलांग लगाते हुए क्रमशः 14,644.4 और 49,792.12 पर पहुँचा

Ankit Anand

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