मिशन कर्मयोगी प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण सहायक होगा: डॉ जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “मिशन कर्मयोगी” का उद्देश्य नागरिक सेवाओं के लिए भविष्य की महत्वपूर्ण दूरदर्शिता है जिससे अगले 25 वर्षों के लिए रोडमैप प्रभावी ढंग से निर्धारित हो सकेगा और 2047 तक भारत की शताब्दी को आकार दे सकेगा।
सुशासन सप्ताह के आयोजन के हिस्से के रूप में ‘मिशन कर्मयोगी – भविष्य का ख़ाका’ विषय पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए लक्ष्य को पूरा करने के लिए शासन की वर्तमान में जारी व्यस्था को “शासन” से “भूमिका” में बदलने की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है ताकि भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त हो सके।
उन्होंने कहा कि सामान्य व्यवस्था का युग समाप्त हो गया है और यह प्रशासन के लिए कहीं अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि हम सुपर-स्पेशलाइजेशन के युग में प्रवेश कर रहे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सिविल सेवा को अपनी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए महत्वपूर्ण दक्षताओं पर केंद्रित होना चाहिए और मिशन कर्मयोगी का मुख्य लक्ष्य यही है कि नागरिक शासन को ‘भविष्य के लिए उपयुक्त’ और ‘उद्देश्य के लिए उपयुक्त’ की योग्यता वाला बनाया जा सके।
शासन के एकीकरण के विषय पर बोलते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, आईआईपीए ने आईआईपीए में मिशन-कर्मयोगी रिसोर्स सेल की स्थापना की है जो कि राष्ट्रीय क्षमता निर्माण आयोग, एलबीएसएनएए और अन्य केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों (सीटीआई) के साथ समन्वय के साथ काम कर रहा है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अक्टूबर में केंद्रीय मंत्री ने जनता को उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं में दक्षता लाने के लिए भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) में क्षमता निर्माण के लिए आयोजित 23 केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों के पहले संयुक्त गोलमेज सम्मेलन को संबोधित किया था।
सिविल सेवकों को रचनात्मक, कल्पनाशील और अभिनव प्रयोगवादी; सक्रिय और विनम्र होना; पेशेवर और प्रगतिशील होना; ऊर्जावान और सक्षम होना; कुशल और प्रभावी होना; पारदर्शी और नई तकनीक के उपयोग हेतु सक्षम होने के प्रधानमंत्री के आह्वान का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिविल के लिए अपने दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए, यह जरूरी है कि देश भर के सिविल सेवकों के पास दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान का सही सेट हो।
उन्होंने कहा, इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीएससीबी) के शुभारंभ सहित कई पहल की हैं। कार्यक्रम से सरकार में मानव संसाधन प्रबंधन के विभिन्न आयामों को एकीकृत करने की उम्मीद है, जैसे कि सावधानीपूर्वक क्यूरेटेड और सत्यापित डिजिटल ई-लर्निंग सामग्री के माध्यम से क्षमता निर्माण; योग्यता मानचित्रण के माध्यम से सही व्यक्ति को सही भूमिका में तैनात करना; उत्तराधिकार योजना, आदि।
डॉ जितेंद्र सिंह ने आशा व्यक्त की कि मिशन कर्मयोगी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करने में सक्षम होगा।
उन्होंने कहा, इस मिशन की स्थापन इस मान्यता में निहित है कि एक नागरिक-केंद्रित सिविल सेवा की सही भूमिका, कार्यात्मक विशेषज्ञता और अपने क्षेत्र के बारे में अपेक्षित ज्ञान के साथ सशक्त होती है, के परिणामस्वरूप जीवनयापन को बेहतर बनाने और व्यवसाय करने में आसानी होगी।
उन्होंने कहा कि लगातार बदलती जनसांख्यिकी, डिजिटल क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव के साथ-साथ बढ़ती सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता की पृष्ठभूमि में, सिविल सेवकों को अधिक गतिशील और पेशेवर बनने के लिए सशक्त करने की आवश्यकता है।
सुशासन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के महत्वपूर्ण योगदान का स्मरण करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह सरकार की जवाबदेही पर जागरूकता फैलाने के उनके दृष्टिकोण का उत्सव मनाने का अवसर है।
मंत्री ने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि मिशन कर्मयोगी के केंद्र में है नागरिक केंद्रित शासन जिसकी मदद से भारत के शासन परिदृश्य को बदला जा सकेगा और इससे समाज के कल्याण के लिए कार्यों में उत्कृष्टता प्रदान करने में मदद मिलेगी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर संक्षिप्त परिचय के साथ आईजीओटी (iGOT) प्लेटफॉर्म का अनावरण भी किया।