कोविड -19 पर भारत की प्रतिक्रिया महामारी विज्ञान और आर्थिक शोध पर आधारित है, जो विशेषकर स्पेनिश फ़्लू से संबधित है: आर्थिक समीक्षा
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा, 2020-21 पेश करते हुए कहा कि संकटग्रस्त जीवन की रक्षा करना ही धर्म का केन्द्र है। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न समस्याओँ से निपटने के लिए भारत की नीतियों का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने महाभारत के इस सूत्र वाक्य का जिक्र किया। महामारी के इस दौर में जीवन बचाने और जीवन यापन के बीच रुक सी गई व्यावसायिक गतिविधियों धीरे-धीरे पटरी पर लाया जा रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि 2020 में आई कोविड-19 महामारी सदी में एक बार होने वाला गंभीर संकट है। जहां विश्व के 90 प्रतिशत देश सकल घरेलू उत्पाद में प्रतिव्यक्ति आय में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं भारत लोगों का जीवन बचाने और जीवन यापन में सुधार लाने के लिए प्रयासरत है। भारत की इच्छा कुछ समय के लिए परेशानियों का सामना करते हुए अच्छे भविष्य की तैयारी करना है।
शोध आधारित नीति
समीक्षा के अनुसार मामलों में मृत्यु दर से संबंधित सूचकों में भारी अनिश्चितता है और आर0 (पुनः उत्पादित संख्या) महामारी के दौरान कई मामले ए-सिम्टमेटिक (गैर-लक्षण वाले) हैं जिसके चलते उपजी स्थितियों में बड़ी भिन्नता दिख रही है। समीक्षा में बताया गया है कि अनिश्चितता के बीच इस उद्देश्य से नीतियों का चयन किया जाना चाहिए जिससे बहुत बुरी स्थिति में भी बड़े से बड़े नुकसान को कम किया जा सके। समीक्षा में जोर देकर कहा गया है कि घने इलाकों में वायरस तेजी से फैलता है और महामारी में इसका प्रभाव सर्वाधिक है। भारत जैसे 130 करोड़ लोगों की घनी आबादी वाले देश में वायरस के फैलाव को रोकने के लिए जल्द से जल्द उपायों को लागू करना बहुत ही महत्वपूर्ण था।
कोविड -19 पर भारत की प्रतिक्रिया महामारी विज्ञान और आर्थिक शोध पर आधारित है, जो विशेषकर स्पेनिश फ़्लू से संबधित है, जिसमें रेखांकित किया गया है कि जीवन बचाने और मध्यम से लंबे समय की अवधि के बीच अर्थव्यवस्था में सुधार से जीवन यापन के तरीकों को बचाने के लिए जल्द और प्रभावी लॉकडाउन लगाया जाए जिससे जीत की रणनीति बन सके। महामारी को लेकर यह रणनीति भारत की विभिन्न आवश्यकताओं जैसे लोगों को पृथक आवास में रखना जिससे लोगों को आपस में मिलने-जुलने से रोका जा सके और व्यवहार के तरीके जैसे बेहतर स्वच्छता की आदत को अपनाया जा सके जिससे वायरस का प्रसार कम से कम हो।
भारत की प्रतिक्रिया : कम समय का कष्ट, लंबे समय का फायदा
आर्थिक समीक्षा में स्पेनिश फ्लू का उदाहरण देते हुए यह बिंदु सिद्ध किया गया है कि समय महत्वपूर्ण है। जल्द और वृहद् लॉकडाउन से मरने वालों की संख्या पीक पर पहुंचने में देरी हुई। मरने वालों की दर में कमी के चलते इस महामारी से मरने वालों की संख्या बहुत कम रही है। इसलिए नीति निर्धारकों ने शुरुआत में ही आने वाले सबसे बुरे परिणाम को रोकने का प्रयास किया और चरण-दर-चरण अपनी प्रतिक्रिया दी।
समीक्षा में बताया गया है कि लॉकडाउन की 40 दिन की समयावधि का उपयोग स्वास्थ्य और उससे जुड़े आधारभूत ढांचे की तैयारी को लेकर किया गया जिससे चौकस निगरानी, जांच को बढ़ाने, संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने, आइसोलेशन और मामलों का प्रबंधन करने व नागरिकों को सामाजिक दूरी और मास्क के बारे में जागरुक करने से संबंधित था।
शुरुआती लॉकडाउन का प्रभाव
समीक्षा में बताया गया है कि पूरे देश में विश्लेषण करने के बाद देखा गया है कि कोविड-19 के फैलाव और उससे होने वाली मौतों का प्रभावी रूप से प्रबंधन किया गया जिससे अनुमान से 37.1 लाख से कम मामले सामने आए जबकि अमेरिका में अनुमान के मुकाबले 62.5 लाख मामले सामने आए। इस मॉडल के अऩुसार अनुमान है कि एक लाख से अधिक जाने बचाई गईं।
अंतर्राजीय विश्लेषण भी दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश, गुजरात और बिहार ने मामलों को बेहतर तरीके से फैलने से रोका। केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने सबसे अधिक जानें बचाईं; महाराष्ट्र मामलों के फैलने और जान बचाने में निम्न स्तर पर है।
विश्लेषण यह स्पष्ट दर्शाता है कि देशों और भारत के राज्यों में जल्द और कड़ा लॉकडाउन महामारी को फैलने से नियंत्रित करने में प्रभावी रहा।
ग्राफ का नीचे आऩा
समीक्षा में ग्राफ के नीचे आने और जान बचाने का श्रेय सरकार द्वारा लॉकडाउन को जल्द लागू किए जाने को दिया गया है। जबकि अधिकतर देश 50 दिन से कम समय में पहली ऊंचाई पर पहुंचे थे इसके लिए भारत में 175 दिनों का समय लगा। समीक्षा में बताया गया है कि भारत में 10 लाख मामले पहुंचने में 168 दिन का समय लगा।
समय पर लॉकडाउन होने के चलते वी-आकार की रिकवरी हुई
लॉकडाउन के चलते पहले तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत गिरावट दर्ज हुई। यह सुधार अब वी-आकार का है और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है। सभी प्रमुख आर्थिक संकेतकों में सुधार देखा जा सकता है। आर्थिक शोध और राज्यों में अर्थव्यवस्था की गतिविधियां उच्च स्तर पर पहुंच गई है और साल के दौरान यह तेज हुई हैं।
अर्थव्यवस्था के पुर्नउद्धार के लिए नीति प्रतिक्रिया
अर्थव्यवस्था के नीति के मोर्चे पर भारत ने पहचाना की पहले के संकटों की तरह महामारी मांग और आपूर्ति को प्रभावित करता है। व्यय में बढ़ोतरी विशेषकर स्वास्थ्य से जुड़े प्रतिबंधों में छूट के बाद पूंजी व्यय में वृद्धि में तेजी लाने की नीति सबसे प्रभावी रही।
समीक्षा में कहा गया है कि भारत केवल एकमात्र देश है जहाँ पर महामारी के शुरुआती चरण में आपूर्ति की तरफ ढांचागत सुधार किए गए। भारत के नीति निर्धारकों ने पहचाना की महामारी के दौरान आपूर्ति को लगे झटके से अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता प्रभावित होगी, और जब कभी भी इसकी शुरुआत होगी यह सूक्ष्म अर्थव्यवस्था को अस्थिरता की तरफ बढ़ाएगी जिसे मजबूत करने के लिए मांग में तेजी लाने की आवश्यकता होगी।
अनलॉक के चरण के दौरान मांग को लेकर विभिन्न कदमों की घोषणा की गई। सार्वजनिक निवेश कार्यक्रम को नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के इर्द-गिर्द रखा गया जिससे मांग में तेजी लाई जा सके और आगे के सुधार किए जा सके। सरकार द्वारा ढांचागत सुधारों को कृषि बाजारों, श्रम कानूनों, एमएसएमई की परिभाषा, खनन और 10 प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन आधारित इनसेंटिव लागू किया गया, जिससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाया जा सके।
अर्थव्यवस्था में बढ़त के साथ संक्रमण की दूसरी लहर से भी बचना था ऐसे में सदी में एक बार आने वाली ऐसी महामारी के बीच भारत ने नीती निर्माण की रणनीति तैयार की।
Ankit Anand
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