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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर की गणतंत्र दिवस झांकी के दल के लिए दोपहर के भोजन की मेजबानी की

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू और कश्मीर की झांकी दल के सदस्यों के लिए दोपहर के भोजन की मेजबानी की, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी स्थित राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में प्रदर्शन किया था।

कोरियोग्राफर, संगीतकारों और कलाकारों के दल को शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से मिलने का समय दिया गया है।

टीम के सदस्यों ने डॉ. जितेंद्र सिंह से मिले समर्थन, प्रोत्साहन और उनके आतिथ्य पर काफी प्रसन्‍नता जताई। उन्होंने इस तरह का अपना पहला अनुभव बताया और कहा कि वे इससे काफी रोमांचित हैं।

गौरतलब है कि पहले से कहीं अलग इस साल नई दिल्ली स्थित राजपथ पर गणतंत्र दिवस पर एक अनोखा उत्सव देखने को मिला जिसमें जम्मू और कश्मीर की झांकी मुख्य रूप से जम्मू क्षेत्र की संस्कृति तथा कला पर आधारित थी और झांकी के अग्रभाग में माता वैष्णो देवी भवन को दर्शाया गया था तथा इसके साथ रियासी में दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज और एम्स, आईआईटी तथा आईआईएम जैसे संस्थान, जो हाल के वर्षों में मोदी सरकार के तहत इस क्षेत्र में बने हैं, जैसी अन्य यादगार परियोजनाओं को प्रदर्शित किया गया था। पार्श्‍व संगीत और गीत भी जम्मू के लोकप्रिय लोक गीतों, ’साधा-ए-जम्मू’, साधी बखरी पहचान- पर आधारित थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले करीब आठ साल में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर के हर क्षेत्र में समान विकास और समान ध्यान देने के लिए सचेत प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे समाज के हर वर्ग और हर क्षेत्र में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की भावन जगी है।

दल के सदस्यों को उनके विशिष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वे चाहते हैं कि लोग इस प्रदर्शन के लिए कई महीनों के प्रयास, कड़ी मेहनत और मनोयोगपूर्वक की गई तैयारी के महत्व को समझें। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में अपनी झांकी को शामिल करने के लिए हुए परीक्षण के दौरान दल के सदस्यों की गंभीरता और कड़ी प्रतिस्पर्धा की भी सराहना की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बहुत कम लोग जानते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की झांकी की प्रविष्टि के लिए उसे प्रतियोगिता और परीक्षण के विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है और कई राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश इस प्रक्रिया से बाहर हो जाते हैं और गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर गंवा देते हैं। इसके लिए उन्होंने संस्कृति विभाग के अधिकारियों की कड़ी मेहनत और उनके द्वारा कार्य में नियुक्त स्वतंत्र समूहों के सतत सहयोग की भी सराहना की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दल के प्रत्येक सदस्य के साथ व्यक्तिगत रूप से विस्तृत बातचीत की और कहा कि वे इस क्षेत्र के सांस्कृतिक राजदूत हैं। उन्होंने उनमें से प्रत्येक को उनके कौशल और प्रदर्शन के उन्नयन के लिए हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।