भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने भारतीय स्टेट बैंक की निविदा में बोली में हेराफेरी करने पर सात कंपनियों पर जुर्माना लगाया
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (‘सीसीआई’) ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शाखाओं/कार्यालयों/एटीएम के लिए संकेतकों (साइनेज) की आपूर्ति के लिए प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौते में शामिल होने के लिए सात कंपनियों के खिलाफ एक अंतिम आदेश पारित किया। इन सात कंपनियों में से एक कंपनी ने सीसीआई से समक्ष कम जुर्माना लगाने का आवेदन किया था।
सीसीआई द्वारा यह मामला 2018 में प्राप्त हुई एसबीआई इंफ्रा मैनेजमेंट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आमंत्रित निविदा में बोली में हेराफेरी और कार्टेलाइजेशन के आरोप वाली एक शिकायत के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए शुरू किया गया था। जांच में अन्य बातों के साथ-साथ इन कंपनियों के बीच कई ई-मेल के आदान-प्रदान का पता चला, जो उक्त बोली प्रक्रिया में हेराफेरी का आधार बने।
एकत्र किए गए सबूतों के समग्र मूल्यांकन के आधार पर, सीसीआई ने पाया कि इन कंपनियों के बीच एक समझौता हुआ था जिसके परिणामस्वरूप भौगोलिक बाजार के आवंटन के साथ-साथ एसबीआई की उपरोक्त निविदा में बोली में हेराफेरी हुई।
तदनुसार, सभी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 3 के प्रावधानों, जोकि कार्टेल सहित प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों को प्रतिबंधित करते हैं, के उल्लंघन का दोषी ठहराया गया। इसके अलावा, इन कंपनियों के 9 (नौ) व्यक्तियों को भी इस अधिनियम की धारा 48 के प्रावधानों के अनुसार उनकी संबंधित संस्थाओं के प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
एक कंपनी द्वारा अनुसंधान के साथ-साथ जांच प्रक्रिया के दौरान सहयोग करने के अलावा कम जुर्माना लगाने के लिए आवेदन दाखिल किए जाने और अधिकांश कंपनियों के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) होने, जिनमें से कुछ ने जांच के दौरान अपने आचरण को स्वीकार किया। तथ्य को यह देखते हुए सीसीआई ने एक उदार दृष्टिकोण अपनाया और उन कंपनियों पर उनके संबंधित औसत टर्नओवर के एक प्रतिशत के बराबर का जुर्माना लगाने का निर्णय किया। प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 48 के तहत दोषी पाए गए व्यक्तियों पर भी उनकी संबंधित औसत आय के एक प्रतिशत के बराबर का जुर्माना लगाया गया।
इसके अलावा, कम जुर्माना लगाने का आवेदन करने वाली कंपनी ने जांच के जिस चरण में सीसीआई से संपर्क किया और उसके बाद उसके द्वारा दिए गए सहयोग के आलोक में, सीसीआई ने उस कंपनी और उसके लोगों के खिलाफ जुर्माने में 90 प्रतिशत की कमी की अनुमति दी। उपरोक्त निर्णयों के अलावा, सीसीआई ने इन कंपनियों और उनसे संबंधित अधिकारियों को प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण में संलग्न न होने और उसे बंद करने का भी निर्देश दिया।