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भारत ही नहीं अमेरिका में लोगों पर महंगाई की जबरदस्त मार, पिछले 4 दशक का रिकॉर्ड भी गया टूट

इन दिनों भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका में भी महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ रखी है। इस वक्त महंगाई पिछले 40 साल के उच्च स्तर पर है। दरअसल पिछले एक साल में अमेरिका में महंगाई 7.5 फीसदी बढ़ चुकी है।

वहीं पिछले एक साल में मुद्रास्फीति चार दशकों में अपनी उच्चतम दर से बढ़कर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। महंगाई बढ़ने की वजह से अमेरिका के उपभोक्ताओं की परेशान काफी बढ़ गई है। जिन लोगों का वेतन कुछ बढ़ा भी है तो महंगाई ने सब चौपट कर दिया है। देश में महंगाई फेडरल रिजर्व के फैसले को अर्थव्यवस्था में उधार दरों में बढ़ोत्तरी करने के लिए मजबूर कर रही है।

इस सब को लेकर अमेरिकी श्रम विभाग ने बीते गुरुवार को कहा कि उपभोक्ता कीमतों में 12 महीने पहले की तुलना में पिछले महीने 7.5% की बढ़ोतरी हुई, जो फरवरी 1982 के बाद से साल-दर-साल सबसे अधिक बढ़ोत्तरी है। सप्लाई में कमी, मजदूरों की कमी, बेहद ही निम्न ब्याज दरें और मजबूत उपभोक्ता खर्च पिछले एक साल में मुद्रास्फीति को तेज करने के लिए संयुक्त तौर से जिम्मेदार है। महंगाई के बढ़ने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ने की संभावना है। मुद्रास्फीति की दर कब कम होगी इस बारे में अभी कोई स्पष्ट संकेत नहीं है।

गौरतलब है कि कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी की वजह से कई अमेरिकियों को भोजन, गैस, किराया, बच्चों की देखभाल और अन्य जरूरतों को पूरा करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खास तौर से मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़े जोखिम कारक के रूप में उभरी है। कई छोटे व्यवसाय, जो आमतौर पर बड़ी कंपनियों की तुलना में कम लाभ मार्जिन रखते हैं और अपने बड़े वेतन वृद्धि की वजह से संघर्ष करते दिखते हैं। वे भी कीमतें बढ़ा रहे हैं।

वहीं एक ट्रेड ग्रुप ‘नेशनल फेडरेशन फॉर इंडिपेंडेंट बिजनेस’ ने कहा कि उसने मासिक सर्वेक्षण में पाया कि 61 फीसदी छोटी कंपनियों ने जनवरी में अपनी कीमतें बढ़ाईं। जो 1974 के बाद से सबसे बड़ा अनुपात है। ये कोरोना महामारी से पहले सिर्फ 15 फीसदी थी। फिलहाल महंगाई बढ़ने से आम उपभोक्ता तो परेशान हैं ही, सरकार के लिए इसे नियंत्रण में करना बड़ी चुनौती है।