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5 वर्षों में वस्त्र निर्यात के मौजूदा 40 बिलियन डॉलर से 100 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार करने की संभावना

वस्त्र मंत्रालय के सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि भारतीय वस्त्र उद्योग को अपने पैमाने व आकार को बढ़ाने और उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का लाभ उठाने के लिए एकीकरण पर ध्यान देना चाहिए।

परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के 44वें स्थापना दिवस के अवसर पर सिंह ने कहा, “वस्त्र और परिधान क्षेत्र बहुत अधिक निवेश केंद्रित नहीं हैं, लेकिन यह रोजगार के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है। शायद इनमें आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ाने की जरूरत है और आप में से अधिक से अधिक लोग कताई व बुनाई जैसी एकीकृत मूल्य-श्रृंखला में शामिल हो सकते हैं।”

मंत्रालय के सचिव ने बताया कि सरकार पीएलआई योजना के साथ-साथ प्रधानमंत्री मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्रा) योजना को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार का विचार एक विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के साथ एक समृद्ध उद्योग बनाना भी है।

वस्त्र सचिव ने आगे कहा कि वस्त्र उद्योग हमेशा से सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है। उन्होंने कहा, “इसमें अधिक बड़े अवसर हैं। मांग मजबूत बनी रहेगी और पश्चिम की चीन प्लस वन सोर्सिंग रणनीति निश्चित रूप से हमारे लिए एक बड़ा अवसर है।” श्री सिंह ने कहा कि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि भारतीय परिधान उद्योग कितना अच्छा, कुशल व एकीकृत है और यह अपने आकार व स्तर को कैसे आगे बढ़ाता है। उन्होंने आगे कहा, “एईपीसी के पास निभाने के लिए एक बड़ी भूमिका है। आइए हम केवल बड़े आंकड़ों में न जाएं, आइए हम सूक्ष्म स्तर पर जाएं। आइए हम उत्पाद दर उत्पाद और देश दर देश चलें।”

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सिंह ने कहा, “हमें अगले वित्तीय वर्ष या उसके बाद के साल तक 20 बिलियन डॉलर के परिधान निर्यात के आंकड़े को पार करने की स्थिति में होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि देश का वस्त्र निर्यात अगले पांच वर्षों में मौजूदा 40 अरब डॉलर से बढ़कर 100 अरब डॉलर हो सकता है।

एईपीसी के अध्यक्ष नरेन्द्र गोयनका ने इसकी 1978 में एक कोटा निगरानी व निर्यात प्रोत्साहन निकाय के रूप में स्थापना से लेकर परिषद बनने की यात्रा को साझा किया। वर्तमान में यह कौशल, मूल्यांकन, बाजार बुद्धिमत्ता, प्रतिपालन (एडवोकेसी), वित्तीय जोखिमों पर क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, अनुपालन प्रबंधन, आईपीआर मुद्दों, एआई व तकनीक संचालित उत्पादन नवाचारों, लीन व सिक्स सिग्मा, सर्कुलरिटी और सततता सहित अन्य सेवाएं प्रदान करती है।

गोयनका ने आगे परिधान क्षेत्र की प्रमुख प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध किया। इनमें स्तर में सुधार के लिए लीवरेज नीति से सहायता प्राप्त करना, उत्पादों का विविधीकरण, आगामी एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) का लाभ उठाना, स्थायी व जिम्मेदार व्यवसाय पर आधारित नई यूएसपी बनाना और सुचारू आपूर्ति श्रृंखला व बेहतर ब्रांडिंग के लिए तकनीक व एआई का उपयोग करना शामिल हैं।

वहीं, एईपीसी के उपाध्यक्ष सुधीर सेकरी ने परिधान क्षेत्र में समग्र वृद्धि के लिए परिषद द्वारा की गई पहलों के बारे में बताया। एईपीसी, वस्त्र मंत्रालय के अधीन भारत में परिधान निर्यातकों का एक आधिकारिक निकाय है। यह भारतीय निर्यातकों के साथ-साथ आयातकों / अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को अमूल्य सहायता प्रदान करती है।