2030 तक भारत में मातृ मृत्युदर 70 लाने का लक्ष्य तैयार
भारत के महापंजीयक द्वारा जारी एमएमआर के बारे में जारी किए गए विशेष बुलेटिन के अनुसार देश के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में 10 अंकों की गिरावट अर्जित की गई है जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
एमएमआर जो 2016-18 में 113 था वह 2017-19 में घटकर 103 हो गया जो 8.8 प्रतिशत गिरावट दर्शाता है।
देश में एमएमआर में लगातार कमी आई है। यह 2014 से 2016 में 130 था, जो 2015 से 2017 में घटकर 122, 2016 से 2018 में कम होकर 113 और 2017 से 2019 में 103 रह गया।
इस लगातार गिरावट से भारत 2020 तक 100/लाख जीवित जन्म के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) लक्ष्य को हासिल करने और 2030 तक निश्चित रूप से 70 प्रति लाख जीवित जन्म के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर है। सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने राज्यों की संख्या अब 5 से बढ़कर 7 हो गई हैं।
इन राज्यों के नाम है- केरल (30), महाराष्ट्र (38), तेलंगाना (56), तमिलनाडु (58), आंध्र प्रदेश (58), झारखंड (61) और गुजरात (70)। अब 9 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने एनएचपी द्वारा निर्धारित एमएमआर के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है जिनमें इन 7 राज्यों के अलावा कर्नाटक (83) और हरियाणा (96) राज्य शामिल हो गए हैं।
पांच राज्यों उत्तराखंड (101), पश्चिम बंगाल (109), पंजाब (114), बिहार (130), ओडिशा (136) और राजस्थान (141) में एमएमआर 100-150 के बीच है, जबकि 4 राज्य- छत्तीसगढ़ (160), मध्य प्रदेश (163), उत्तर प्रदेश (167) और असम (205) ऐसे हैं जहां एमएमआर 150 से अधिक है।
उत्तर प्रदेश ने उत्साहजनक उपलब्धि दर्ज की है जहां 30 अंकों की अधिकतम गिरावट दर्ज की गई है, इसके अलावा राजस्थान (23 अंक), बिहार (19 अंक), पंजाब (15 अंक) और ओडिशा (14 अंक) में भी एमएमआर अनुपात में गिरावट आई है।
उल्लेखनीय रूप से, तीन राज्यों (केरल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश) ने एमएमआर में 15 प्रतिशत से अधिक गिरावट दर्शायी है, जबकि 6 राज्यों अर्थात झारखंड, राजस्थान, बिहार, पंजाब, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 10 से 15 प्रतिशत के बीच गिरावट देखी गई है। चार राज्यों अर्थात मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और कर्नाटक में 5 से 10 प्रतिशत के बीच कमी आई हैं।
चार राज्यों पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में एमएमआर में बढ़ोतरी पाई गई, इसलिए इन्हें एसडीजी लक्ष्य हासिल करने के लिए एमएमआर में गिरावट को बढ़ावा देने के लिए अपनी रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करने और अपने प्रयासों को तेज करने की जरूरत है।
यह उल्लेख करना उचित है कि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत रणनीतिक निवेश लगातार लाभांश सृजित कर रहा है। भारत सरकार के प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और लेबर रूम क्वालिटी इम्प्रूवमेंट इनिशिएटिव (लक्ष्य) के तहत गुणवत्ता युक्त देखभाल प्रयासों तथा जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, जननी सुरक्षा योजना जैसी मौजूदा योजनाओं के संयोजन से महत्वपूर्ण लाभ अर्जित किए गए हैं।
इसके अलावा महिला और बाल विकास मंत्रालय की प्रमुख योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) और पोषण अभियान और कमजोर आबादी विशेष रूप से गर्भवती और नर्सिंग महिलाओं तथा बच्चों के लिए पोषण अभियान, पोषण वितरण को लक्षित करते हैं। यह उपलब्धि उत्तरदायी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के सृजन द्वारा महिलाओं के लिए ‘सुरक्षित मातृत्व आश्वासन’ हेतु भारत सरकार के संकल्प को भी मजबूत बनाती है जो पूरी तरह रोकथाम की जाने योग्य मातृ और नवजात मृत्यु के लक्ष्य को अर्जित करने का प्रयास करती है।
इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 2021 में मेटरनल पेरिनाटल चाइल्ड हेल्थ सर्विलांस रिस्पांस (एमपीसीडीएसआर) सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है ताकि मातृ मृत्यु के लिए कार्रवाई योग्य डेटा प्राप्त करने के लिए एक-स्टॉप एकीकृत सूचना मंच तैयार किया जा सके।
इसके साथ ही, भारत सरकार ने मिडवाइफरी केयर नेतृत्व वाली इकाइयों में सम्मान और गरिमा के साथ महिलाओं के लिए सकारात्मक रूप से बच्चे के जन्म को सुनिश्चित करने के लिए मिडवाइफरी पहल के तहत “मिडवाइफरी में नर्स प्रैक्टिशनर” के नए कैडर का निर्माण शुरू किया है, जो उच्च केसलोड सुविधाओं के साथ प्रक्रिया में हैं।