युवा मामले और खेल मंत्रालय ने एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत देश में ग्रामीण खेलों को बढ़ावा दिया है: अनुराग ठाकुर
खेलो इंडिया योजना के कार्यक्षेत्र में से एक “ग्रामीण और स्वदेशी/जनजातीय खेलों को बढ़ावा देना” महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों सहित विशेष रूप से देश में ग्रामीण खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है।
इस मंत्रालय ने महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में मल्लखंब, मिट्टी दंगल (फ्रीस्टाइल कुश्ती), रस्साकशी आदि में प्रतिस्पर्धात्मक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संबंधित खेल संघों को वित्तीय सहायता प्रदान की है।
यह जानकारी युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
मल्लखंब में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले महाराष्ट्र के 37 खिलाड़ी खेलो इंडिया योजना के तहत 10,000/- रुपये प्रति माह की दर से छात्रवृत्ति प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा, एक भारत श्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) कार्यक्रम के तत्वावधान में महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों में ग्रामीण खेलों को भी बढ़ावा दिया जाता है, जिसके खेल घटक इस मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किए जाते हैं।
‘खेल’ राज्य का विषय है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में खेलकूद में मेधावी बच्चों और युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष सुविधाएं विकसित करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की है ताकि उन्हें भी राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेलने और राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिले। केंद्र सरकार उनके प्रयासों को पूरा करने में मदद देती है।
हालांकि, इस मंत्रालय की खेलो इंडिया योजना के तहत, महाराष्ट्र राज्य में विभिन्न श्रेणियों की 12 खेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, 28 खेल अकादमियों को मान्यता दी गई है और 44 खेलो इंडिया सेंटर (जिला स्तर) और एक खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को मंजूरी दी गई है।
इसके अलावा, भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) महाराष्ट्र राज्य में 2 राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई), एक स्वदेशी खेल और मार्शल आर्ट स्कूल (आईजीएमए) और 14 गोद लिए गए अखाड़े चलाता है।
इन खेल सुविधा केंद्रों में प्रशिक्षण हासिल कर रहे खिलाड़ी देश के ग्रामीण, पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों सहित समाज के सभी वर्गों से आए हैं और उन्हें योजनाओं के अनुमोदित मानदंडों के अनुसार आवासीय और गैर-आवासीय आधार पर नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।