निर्यात तैयारी सूचकांक 2021: नीति आयोग ने जारी किया दूसरा संस्करण, लगातार दूसरी बार गुजरात टॉप पर
नीति आयोग ने ‘निर्यात तैयारी सूचकांक 2021’ का दूसरा संस्करण जारी किया। रिपोर्ट के अनुसार, 78.86 फीसदी निर्यात तैयारियों के साथ गुजरात लगातार दूसरी बार सूची में सबसे ऊपर पहले पायदान पर काबिज है, जबकि महाराष्ट्र 77.14 के साथ दूसरे स्थान पर है। वहीं तीसरे स्थान पर कर्नाटक राज्य है।
रिपोर्ट में भारत की निर्यात उपलब्धियों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। सूचकांक का उपयोग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) द्वारा बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों की तुलना में अपने प्रदर्शन का आकलन करने और उप-राष्ट्रीय स्तर पर निर्यात-आधारित विकास को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ बेहतर नीति विकसित करने की प्रक्रिया में संभावित चुनौतियों का विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है।
निर्यात तैयारी सूचकांक, उप-राष्ट्रीय निर्यात संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण; मूलभूत क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक डेटा-संचालित प्रयास है।
ईपीआई में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का 4 मुख्य स्तंभों- नीति; व्यापार इकोसिस्टम; निर्यात इकोसिस्टम; निर्यात प्रदर्शन— और 11 उप-स्तंभों— निर्यात प्रोत्साहन नीति; संस्थागत ढांचा; व्यापार वातावरण; आधारभूत संरचना; परिवहन संपर्क; पूंजी तक पहुंच; निर्यात आधारभूत संरचना; व्यापार समर्थन; अनुसंधान एवं विकास(आर एंड डी) आधारभूत संरचना; निर्यात विविधीकरण और विकास आकांक्षा – के आधार पर श्रेणी तैयार की गयी है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने; नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, वाणिज्य विभाग के सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में सूचकांक जारी किया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकांश ‘तटीय राज्यों’ का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा है और गुजरात पहले पायदान पर है।
ईपीआई 2021 ने भारत के निर्यात को बढ़ावा देने में तीन प्रमुख चुनौतियों की पहचान की है। ये चुनौतियां हैं – निर्यात आधारभूत संरचना में क्षेत्र-विशेष और अंतर-क्षेत्र में असमानताएं; राज्यों में कमजोर व्यापार समर्थन व विकास उन्मुख आकांक्षा तथा जटिल और विशिष्ट निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान एवं विकास की आधारभूत संरचना की कमी।
ईपीआई का प्राथमिक लक्ष्य सभी भारतीय राज्यों (‘तटीय’, ‘गैर-तटीय राज्य’, ‘हिमालयी’, और ‘केंद्र शासित/नगर-राज्य’) के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा करना है, ताकि निर्यात-संवर्धन के लिए अनुकूलनीतियों का निर्माण किया जा सके, उप-राष्ट्रीय निर्यात-संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए नियामक ढांचे को आसान बनाया जा सके; निर्यात के लिए आवश्यक अवसंरचना तैयार की जा सके और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए रणनीतिक सिफारिशों की पहचान करने में सहायता प्रदान की जा सके। यह प्रतिस्पर्धी संघवाद और राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए यह सूचकांक सरकार और नीति निर्माताओं के लिए एक मूल्यवान उपकरण हो सकता है, जिससे वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की स्थिति और बेहतर हो सकती है।
रिपोर्ट जारी करते हुए, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि ईपीआई 2021; राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनकी निर्यात क्षमता का अधिकतम उपयोग करने को ध्यान में रखते हुए निर्यात अनुकूल इकोसिस्टम सुनिश्चित करने के लिए निर्यात-उन्मुख नीतियों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने में मदद करेगा।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने जोर देकर कहा कि सूचकांक का दूसरा संस्करण; प्रतिस्पर्धी संघवाद को प्रोत्साहन देने और वैश्विक निर्यात परिदृश्य में राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण उत्प्रेरक सिद्ध होगा।
कार्यक्रम के दौरान वाणिज्य विभाग के सचिव बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने इस बात को रेखांकित किया कि भविष्य में निर्यात में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों के स्तर पर हमारे विनिर्माण और अवसंरचना के इकोसिस्टम को मजबूत करने के सन्दर्भ में निरंतर काम करने की आवश्यकता है।
रूपरेखा:
4 स्तंभ और उनके चयन के कारण निम्न हैं:
नीति: व्यापक व्यापार नीति; निर्यात और आयात के लिए एक रणनीतिक दिशा प्रदान करती है।
व्यापार इकोसिस्टम: एक कुशल व्यापार इकोसिस्टम निवेश को आकर्षित करने और व्यवसायों के विकास के लिए एक सक्षम आधारभूत संरचना निर्माण में मदद करता है।
निर्यात इकोसिस्टम: इस स्तंभ का उद्देश्य कारोबारी माहौल का आकलन करना है, जो निर्यात-विशेष पर आधारित हो।
निर्यात प्रदर्शन: यह एकमात्र परिणाम-आधारित स्तंभ है और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के निर्यातकी पहुँच की जांच करता है।