राजधानी को करना पड़ सकता है बिजली कटौती का सामना, दिल्ली के ‘हिस्से’ की बिजली हरियाणा को देगा केंद्र
दिल्ली में गर्मी आते ही बिजली की मांग तेजी से बढ़ जाती है। मई और जून का महीना आते ही कमसे काम 8 हजार मेगावॉट बिजली की जरूरत होती है। हलाकि , केंद्र सरकार ने बिजली का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा को देना का फैसला किया है, जिस वजह से राजधानी दिल्ली को बिजली का संकट झेलना पड़ सकता है।
मंत्रालय का कहना है कि दिल्ली ने खुद इतनी बिजली छोड़ने का फैसला किया है। हालांकि दिल्ली सरकार का कहना है कि केंद्र के इस कदम से राजधानी में बिजली का संकट खड़ा हो जाएगा।
दिल्ली सरकार ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार से एक नयी बहस छेड़ दी है। 28 मार्च को ऊर्जा मंत्रालय के सचिव की तरफ से जारी आदेश में कहा गया, ‘दादरी-II पावर स्टेशन पर दिल्ली सरकार के बिजली की मात्रा छोड़ने और हरियाणा सरकार की इच्छा को देखते हुए फैसला किया गया है कि 728 मेगावॉट बिजली 1 अप्रैल 2022 से 21 अक्टूबर 2022 तक हरियाणा को दी जाएगी।’
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने सोमवार को कहा कि देश में ऊर्जा संकट है और केंद्र सरकार को इसे एक समस्या की तरह लेना चाहिए। मंत्री के अनुसार, दिल्ली सरकार ज्यादातर बिजली NTPC से खरीदती है मगर उसने अपने प्लांट्स पर उत्पादन में 50% की कटौती कर दी है।
इस वजह से ही केंद्रीय मंत्रालय ने एंटीपीसी के दादरी पावर प्लांट से बिजली नहीं देने का फैसला कर लिया है, लेकिन दिल्ली बिजली विभाग का कहना है की केंद्र सरकार का आदेश गलत है। हमने ऐसा कभी नहीं कहा था, दिल्ली सरकार का कहना है की केवल दादरी प्लांट 1 की 750 मेगावाट बिजली छोड़ने का फैसला किया गया है। जबकि दादरी प्लांट 2 पावर प्लांट से बिजली की आवश्यकता हमेशा रहती है। जबकि 30 नवंबर में ही दादरी 1 पावर प्लांट की बिजली दिल्ली सरकार न लेने का फैसला किया था।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रवक्ता ने दिल्ली सरकार का पत्र भी दिखाया था जब वह हिंदुस्तान टाइम्स के सवालों का जवाब दे रहे थे जिसमे दिल्ली ने कुछ पावर प्लांट सरेंडर करने की बात की थी और उसमें दादरी पावर प्लांट 2 भी शामिल था लेकिन यह पत्र 2015 में ही लिखा गया था।