नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए बजट 2021-22 में एसईसीआई और आईआरईडीए की पूंजी में वृद्धि
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण 2021-22 में सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेकी) और भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (इरेडा) के लिए पूंजी में वृद्धि की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि, “मैं गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को 1,000 करोड़ रुपये तथा भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था को 1,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी प्रदान करने का प्रस्ताव करती हूं।
सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (सेकी) मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की एक ‘क्रियान्वयन संस्था’ के रूप में कार्यरत है, जो पैन-इंडिया आधार पर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए निविदा की योजना बनाती और निवेश आमंत्रित करती है। सेकी एक केंद्रीय स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद करती है, जिससे आरई डेवलपर्स के लिए ऑफ-टेकर जोखिम को कम होता है और फिर इसे डिस्कॉम को बेचा जाता है। सेकी के प्रयासों से देश के आरई क्षेत्र में दुनिया भर से निवेश में तेजी आई है और इससे आरई टैरिफ में तेजी से गिरावट हुई है, जिसके कारण देश में बड़े पैमाने पर आरई के क्षेत्र में तरक्की हुई है। 31.12.2020 तक देश में स्थापित संचयी क्षमता 91,000 मेगावाट है और आगे के लिए 50,000 मेगावाट की परियोजनाएं कार्यान्वित हैं, जिनमें सेकी की हिस्सेदारी 54% है। आरई क्षेत्र को और अधिक बढ़ावा देने के लिए सेकी को 1,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी प्रदान की गई है, जो सेकी को सालाना आधार पर 15,000 मेगावाट की निविदाएं जारी करने में सक्षम बनाएगा। वार्षिक आधार पर इससे 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित होगा। इससे 45,000 वर्षों का रोजगार पैदा होगा और प्रति वर्ष 28.5 मिलियन टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी। पूंजी संचार भी लगभग 17000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ सेकी की नवीन परियोजनाएं स्थापित करने में सक्षम होगा।
इरेडा, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में एक मिनी रत्न (श्रेणी- I) कंपनी है, जो 1987 में अक्षय ऊर्जा (आरई) क्षेत्र के लिए एक विशेष गैर-बैंकिंग वित्तपोषण एजेंसी के रूप में काम करने के लिए स्थापित की गई थी। एक विशेष आरई फंडिंग संस्था के रूप में, इसने सभी प्रकार की आरई परियोजनाओं और प्रोजेक्ट्स डेवलपर्स के मूल्यांकन में विशेषज्ञता विकसित की है और साथ ही उद्यमी इरेडा के साथ काम करने में अधिक सहज हैं। अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाता भी इरेडा के माध्यम से भारत के बड़े आरई बाजार में अपने निवेश को चैनलाइज कर खुश हैं। भारत सरकार द्वारा 1,500 करोड़ रुपये के रुपये के इक्विटी संचार के साथ इरेडा 12,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण सुविधा का विस्तार करने में सक्षम होगा। यह 27,000 करोड़ रुपये के मौजूदा बुक साइज़ से अलग होगा। अतिरिक्त इक्विटी से इसकी पूंजी पर्याप्तता में भी सुधार होगा जो इरेडा को ब्याज की कम दर पर उधार लेने में मदद करेगा, इस प्रकार यह डेवलपर्स के लिए ब्याज दरों को भी कम करेगा। यह 18,000 से 19,000 करोड़ रुपये की लगभग 4,500 मेगावाट की आरई परियोजनाओं के वित्तपोषण में भी सहायता करेगा। यह 13,500 नौकरी के वर्षों का रोजगार उत्पन्न करेगा और कार्बन डाई ऑक्साइड के 8.55 मिलियन टन के उत्सर्जन को कम करेगा।
वित्त मंत्री ने बजट भाषण 2021-22 में हरित ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन पैदा करने के लिए एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री ने नवंबर 2020 में तीसरे आरई-निवेश सम्मेलन को संबोधित करते हुए एक व्यापक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने की योजना की घोषणा की थी। अब हरित ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन पैदा करने के लिए 2021-22 में हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।
प्रस्तावित राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन का उद्देश्य हाइड्रोजन ऊर्जा के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण, इरादे और दिशा को निर्धारित करना तथा स्वप्न को साकार करने के लिए रणनीति बनाना एवं व्यापक सुझाव देना है। यह मिशन अल्पावधि (4 वर्ष) के लिए विशिष्ट रणनीति और दीर्घकालिक (10 वर्ष तथा उससे अधिक) के लिए विशेष सिद्धांतों को सामने रखेगा। इसका उद्देश्य मूल्य श्रृंखला में हाइड्रोजन और ईंधन सेल प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करना है। एक छोर पर, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के साथ उपयुक्त प्रोत्साहन तथा सुविधा के माध्यम से विनिर्माण का समर्थन करने के लिए एक रूपरेखा विकसित की जाएगी। यह प्रौद्योगिकी के परिदृश्य में हो रही प्रगति से लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक लचीलापन प्रदान करेगा। भारत सरकार चिन्हित क्षेत्रों में मांग निर्माण की सुविधा प्रदान करेगी। संभावित क्षेत्रों के उद्योगों में हरित हाइड्रोजन के उपयोग के लिए उपयुक्त क्षेत्र शामिल हैं जैसे कि उर्वरक, इस्पात, पेट्रोकेमिकल्स आदि। मिशन के तहत परिकल्पित की गई प्रमुख गतिविधियों में विस्तार करना और बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है; इसके अलावा प्रमुख अनुप्रयोगों में प्रदर्शन (परिवहन, उद्योग के लिए सहित); लक्ष्य-उन्मुख अनुसंधान और विकास; सुविधाजनक नीति समर्थन; तथा हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के लिए मानकों व नियमों के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करना शामिल हैं। मिशन के दस्तावेज का मसौदा पहले ही परामर्श प्रक्रिया से गुजर चुका है और फरवरी 2021 में इसे अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। इसके बाद, इसे अंतर-मंत्रालयी परामर्श एवं मंत्रिमंडल की मंजूरी प्रक्रिया के लिए के लिए भेजा जायेगा।
इसके अलावा, 2021-22 के बजट में उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की घोषणा की गई थी।
विनिर्माण क्षेत्र में निरंतर आधार पर दोहरे अंकों में बढ़ने के लिए, विनिर्माण कंपनियों को मुख्य क्षमता और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के द्वारा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक अभिन्न अंग बनने की आवश्यकता है। तदनुसार, ‘उच्च क्षमता वाले सौर पीवी मॉड्यूल’ के निर्माण सहित 13 क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत के लिए विनिर्माण वैश्विक अग्रणी बनाने की पीएलआई योजनाओं की घोषणा की गई है।
सरकार ने लगभग 1.97 लाख करोड़ रुपये की व्यवस्था की है, वित्त वर्ष 2021-22 से शुरू होने वाले अगले 5 वर्षों में ‘उच्च क्षमता के सौर पीवी मॉड्यूल’ के लिए 4500 करोड़ रुपये भी हैं, जिसकी शुरुआत नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा की जाएगी। यह सोलर पीवी मैन्युफैक्चरिंग के परिमाण और वृद्धि में मदद करेगा, इसे विश्व स्तर पर अग्रणी बनाएगा और उसका वित्त पोषण करेगा तथा युवाओं को रोजगार प्रदान करेगा। पीएलआई योजनाएं भारत में नए गीगावाट (जीडब्ल्यू) पैमाने पर सौर पीवी विनिर्माण सुविधाओं को प्रोत्साहित करेंगी। इस संबंध में एक योजना बनाने के लिए ईएफसी की बैठक पहले ही आयोजित की जा चुकी है। अब इसे अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट में ले जाया जाएगा। यह योजना सौर मॉड्यूल की दक्षता के साथ-साथ स्थानीय मूल्यवर्धन को भी परिष्कृत करेगी।
पीएलआई योजना के तहत एकीकृत सौर पीवी विनिर्माण संयंत्रों (वेफर-इंगोट के निर्माण से लेकर उच्च दक्षता वाले मॉड्यूल) की 10,000 मेगावाट क्षमता 2022-23 की चौथी तिमाही में स्थापित की जाएगी, जिसमें लगभग 14,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।