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पटियाला हिंसा: पंजाब में जो कभी ना हुआ वो आम आदमी पार्टी के राज में हो गया

पंजाब के पटियाला में शुक्रवार 29 अप्रैल को जो हुआ वो अच्छा तो बिलकुल नहीं था. सिख समुदाय द्वारा खालिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाना, काली मां के मंदिर में तौड़-फौड़, आम लोगों से लेकर SHO तक के ऊपर तलवार से वार कर उन्हें घायल कर देना.

खबर की बात करें तो द सिटी हेडलाइन ने एक फुटेज जारी किया था जिसके मुताबिक उपद्रवियों की भीड़ को मंदिर में घुसने से रोकने के लिए कई पुलिसकर्मी मंदिर के गेट पर खड़े हो गए थे। हिन्दू सुरक्षा समिति का आरोप है कि खालिस्तान समर्थकों ने मंदिर के बाहर आग लगाने की भी कोशिश की। मंदिर के मुख्य द्वार को तोड़ने का प्रयास किया गया। और इसी हिंसा में पुलिसकर्मियों के साथ ही कई शख्स भी घायल हो गए।

ये विवाद शुरू कैसे हुआ ये खबर के नीचे हम आपको बता देंगे लेकिन ये विवाद यहां तक पहुंचा ? कैसे और इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? ये एक बड़ा सवाल है।

किसी राज्य में रोड़, अस्पताल से लेकर वहां के विकास तक के लिए सिर्फ वहां की सरकार जिम्मेदार होती हैं। सरकार चाहे तो अपने राज्य को देश में हर सुविधाओं के मामले में नं1 का दर्जा दिला सकती है और सरकार ही दंगे फसाद की जड़ बन सकती है। इशारा तो आप समझ गए होंगे अब डायरेक्ट बात करते हैं।

इस पूरी हिंसा के पीछे अगर आम आदमी पार्टी को दोषी ठहराया जाए तो गलत नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है, जैसा हाल अब पंजाब का है वैसा दिल्ली सीएम केजरीवाल के आने के बाद से लगातार झेल रही है। पीने के लिए स्वच्छ जल हो ना हो, मौहल्ला क्लीनिक में बेशक जंगली जानवर अराम फरमा रहे हों लेकिन केजरीवाल के मुंह से दिल्ली मॉडल की तारिफ ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता।

अब ये विवाद शुरू कैसे हुआ ये भी जान लीजिए… आतंकी समूह सिख फॉर जस्टिस के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू ने 29 अप्रैल को खालिस्तान के स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के वीडियो में उसने न सिर्फ पंजाब, बल्कि हरियाणा को भी खालिस्तान के नक्शे में दिखाया था। इसी के साथ पन्नु ने 29 अप्रैल को पंजाब और हरियाणा के सभी जिला मुख्यालयों पर खालिस्तान का झंडा लहराने की घोषणा भी की थी। इसी के विरोध में शिवसेना संगठन ने ‘खालिस्तान मुर्दाबाद’ नाम से मार्च निकाला था। जिसका विरोध करते हुए खालिस्तान समर्थकों ने शिवसैनिकों को बंदर सेना कहा और मुर्दाबाद के नारे लगाए। काली माता मंदिर के पास यही तनाव टकराव में बदल गया।

जब मीडिया ने आस पास के लोगों से इस घटना को लेकर बात कि तो लोगों का कहना था कि “जिस मंदिर पर खालिस्तानियों का हमला हुआ है वो उत्तर भारत में हिन्दुओं का सबसे प्रमुख तीर्थ स्थान है। यहाँ पर तब भी हमला नहीं हुआ था जब खालिस्तान का जोर चरम पर था। लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार में खालिस्तानी सोच वालों को ऐसी खुली छूट मिली हुई है कि आज इतना बड़ा दुस्साहस हुआ है। मंदिर के गेट पर तलवार मारी गई है। बाहर प्रसाद आदि की दुकानों को नुकसान पहुँचाया गया है। दर्शन करने आए श्रद्धालुओं से मारपीट की गई है। हिन्दू पक्ष से 2-3 लोग घायल हैं। खुद SSP पटियाला मौके पर मौजूद थे। उनके ही सामने तलवारें लहराते हुए उपद्रवी नाच रहे थे।”