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सरकार टीकाकरण के लिए किसी भी व्यक्ति को मजबूर नहीं कर सकती है: सुप्रिम कोर्ट

देश में टीकाकरण को लेकर सुप्रिम कोर्ट आज बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वैक्सीन के लिए किसी भी व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने टीकाकरण के दुष्प्रभाव का ब्योरा भी सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार नीति बना सकती है और लोगों के लिए बड़े सार्वजनिक अच्छे और स्वास्थ्य के लिए कुछ शर्तें भी लागू कर सकती है।

कोर्ट ने बताया कि मौजूदा समय में वैक्सीनेशन नीति को अनुचित नहीं कहा जा सकता है। जस्टिस नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत वर्तमान वैक्सीन नीति को किसी के लिए भी अनुचित और स्पष्ट रूप से मनमानी नहीं कही जा सकती, क्योंकि शारीरिक स्वायत्तता जीने के मौलिक अधिकार के तहत आते हैं और यह किसी भी व्यक्ती की निजी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है।

अदालत ने ये भी कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने वैक्सीन नहीं लगवाने वाले लोगों पर सार्वजनिक जगहों पर जाने की पाबंदी लगाई है। ये आनुपातिक नहीं है। जब तक कोरोना के मामले कम हैं, तब तक ऐसे आदेश वापस लिए जाएं।

आपको बता दें कि राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह टीकाकरण ( NTAGI) के पूर्व सदस्य डॉ. जैकब पुलियल ने याचिका दायर की थी। जैकब ने अपनी याचिका में कोर्ट से टीकों का क्लीनिकल ट्रायल और वैक्सीन लगने के बाद कोरोना के मामलों को लेकर डेटा सार्वजनिक करने के निर्देश देने की मांग की थी। साथ ही दिल्ली, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में वैक्सीन अनिवार्य करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल है। याचिका में बताया गया कि केंद्र का कहना है कि वैक्सीनेशन स्वैच्छिक है लेकिन राज्यों ने इसे कुछ उद्देश्यों के लिए अनिवार्य कर दिया है। वैक्सीन जनादेश को असंवैधानिक घोषित करने के निर्देश जारी करें।