आइए जानते हैं क्यों नहीं हुई ताजमहल में शिव की प्राण प्रतिष्ठा
5 मई को ताजमहल में भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा होनी थी लेकिन हुई नहीं ऐसा क्यों? आपके मन में भी कई सवाल आ रहे होंगे इसको लेकर। जवाब एक ही हो सकता है वो ये की मामला ताजमहल से नहीं धर्म से जुड़ा है।
बाबरी मस्जिद के विवाद से अलग कहें तो ठीक नहीं होगा। क्योंकि सीधे बोलें तो सरकार भी इस कदम को सोच समझकर रखेगी। जगद्गुरु परमहंसदास तो फिर भी धर्म गुरू हैं। आइए मामले की पूरी जानकारी देते हैं।
दरअसल ताजमहल को तेजोमहालय बताने वाले और 5 मई को ताजमहल में भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा करने वाले जगद्गुरु परमहंसदास को फिलहाल उल्टे पैर जाना पड़ा है। वहीं ये मामला अब द्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से तक पहुंच गया है। मामला कें भाजपा नेता एडवोकेट सुरेंद्र गुप्ता ने नई दिल्ली में संस्कृति मंत्री से मुलाकात करके प्रकरण की जांच कराने को ज्ञापन भी दिया है।
मामला 26 अप्रैल को जगद्गुरु परमहंसाचार्य के ताजमहल जाने के बाद से शुरू हुआ। जब वह भग्वा पहनकर ब्रह्म दंड के साथ ताजमहल का टिकट लेकर पहुंचे थे, मगर एएसआई कर्मियों ने प्रवेश नहीं दिया। जिसपर उन्होंने कहा था कि ये तो भेदभाव वाली नीति है। उन्होंने मामले में जांच के लिए मांग भी उठाई थी। और संस्कृति मंत्री ने उनकी ये मांग सुन भी ली। उन्होंने प्रकरण में पूरी स्थिति स्पष्ट करने को भी कहा है।
खुदके साथ इतना सब होने के बाद उन्होंने पांच मई को ताजमहल में भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा का एलान किया था, लेकिन उससे पहले तीन मई को ईद उल फितर पर आगरा आ गए थे। एक मिनट जिसको नहीं पता उसे बता दें कि उस दिन परशुराम जयंती भी थी। जगद्गुरु परमहंसदास ने कहा कि परशुराम जयंती पर तेजो महालय में भूमि पूजन करने आए हैं। जिसका वीडियो भी उन्होंने सोशल मीडिया पर डाला था। लेकिन उनके वहां पहुंचने से पहले ही ताजमहल जाने वाले रास्ते को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया और बस मामला यहीं पर थम गया।
सुरक्षा घेरे में पुलिस संत परमहंसदास को कीठम स्थित गेस्ट हाउस लेकर गई। वहां उन्हें नजरबंद कमरे में रखा गया और किसी को उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी गई। जिसके बाद उन्होंने खुदको नजरबंद किए जाने और अन्न-जल त्यागने का वीडियो भी जारी किया था।
अब फिर से वहीं बात कहेंगे की मामला धर्म का है तो पुलिस भी नहीं चाहेगी की चिलचिलाती गर्मी में ये मामला भी गर्म हो इसलिए बुधवार सुबह लगभग 10 बजे परमहंस दास से मिलने के लिए एसएसपी सुधीर कुमार सिंह पहुंचे। उन्होंने एकांत में परमहंसदास से बातचीत की। उन्होंने वहां से मथुरा जाने की जिद की लेकिन पुलिस को ऊपर से निर्देश थे इसलिए करीब साढ़े दस बजे पुलिस उन्हें अपने साथ लेकर अयोध्या गई।
तो ये था इस दौरान का पूरा वाक्या। लेकिन एक बात तो साफ है मामला अभी शांत नहीं हुआ है।