इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लाउडस्पीकर मामले में खारिज की याचिका, कहा लाउडस्पीकर पर अजान मौलिक अधिकार नहीं
उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकरों को हटाए जाने के फैसले पर हाई कोर्ट द्वारा भी मुहर लग गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के अनुसार लाउडस्पीकर पर अजान मौलिक अधिकार नहीं है। बदायूं के एक मौलवी की ओर से दाखिल याचिका को इस अहम टिप्पणी के साथ कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त पर सुनाया है जब उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आदेश पर धार्मिक स्थलों से तक़रीबन एक लाख से भी ज्यादा लाउस्पीकर उतारे गए हैं और इससे कहीं अधिक लाउडस्पीकर की आवाज को घटा दिया गया है।
जस्टिस विवेक कुमार बिरला और जस्टिस विकास बधवार की बेंच ने बदायूं की नूरी मस्जिद के मौलवी इरफान द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। एसडीएम तेहसील बिसौली को इरफान ने अजान के लिए लाउडस्पीकर लगाने की इजाजत मांगते हुए आवेदन दिया था। एसडीएम द्वारा इसे खारिज किये जाने के बाद इरफान ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
इरफान ने कोर्ट से मांग की थी कि मस्जिद में सरकार और प्रशासन को लाउडस्पीकर/माइक लगाने की इजाजत देने का निर्देश दिया जाए। उसने यह भी दलील दी कि एसडीएम द्वारा लिया गया फैसला अवैध है और उसके मौलिक अधिकारों का हनन किया गया है। इरफान की दलीलों को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि मस्जिद पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मौलिक अधिकार नहीं है यह कानून तय हो चुका है। इरफान के तर्कों को अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।