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कभी भारत में चलते थे पांच और दस हजार के नोट, देखें तस्वीरें

देश और दुनिया में हर चीज की खरीद के लिए करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि अब लोग डीजिटल हो गए हैं, ऑनलाइन लेन देन बढ़ गया है, लेकिन जब करेंसी का चलन नहीं था, तब सामान की खरीद के लिए चीजों का इस्तेमाल किया जाता था। इसे बार्टर सिस्टम कहा जाता था।

कीमती पत्थर, गेहूं, चावल यहां तक की सोने चांदी का इस्तेमाल लोग करेंसी के रूप में करते थे। धीरे-धीरे चलन बदला और लोग सिक्कों से कागज के नोट तक आ गए। सामान की वैल्यू के हिसाब से नोटों का इस्तेमाल होने लगा।


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वैसे देश कुछ भूले या ना भूले लेकिन 8 नवंबर की तारिख नहीं भूल सकता। आपको तो याद है ना ? जी हां ये वहीं तारिख है जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोटों को बैन कर दिया था। इस नोटबंदी के बाद पांच सौ और एक हजार के नोट बेकार हो गए, उसी तरह भारत में पहले भी ऐसे कई करेंसी थे, जो बाद में छपने बंद हो गए।

आज सिर्फ भारत में एक, दो, पांच, दस, बीस, पचास, सौ, दो सौ, पांच सौ और दो हजार के नोट चलते हैं, लेकिन एक समय ऐसा था जब भारत में दस हजार के नोट छपा करते थे।

आइए बताते हैं दस हजार के नोटों का इतिहास
जनवरी 1938 ये वो दिन था जब सबसे पहले भारत में पेपर करेंसी छापी गई। ये नोट पांच रूपये का था। लेकिन इसी साल फिर से दस हजार के नोट छापे गए। जिसके बाद जरूरत के हिसाब से दस, सौ हजार के नोटों की छपाई की गई। लेकिन 1946 में इनमें से दस हजार और एक हजार के नोटों की छपाई बंद कर दी गई। हालांकि, 1954 में इसके नए डिजाइन के साथ एक बार फिर छपाई शुरू की गई।

दस हजार का नोट
दस हजार का नोट

ब्रिटिश राज के खत्म होने के बाद फिर से दस हजार के नोट छपने लगे थे, लेकिन जरूरत को देखते हुए आरबीआई ने पांच हजार के नोट भी छापे।

पांच हजार का नोट
पांच हजार का नोट

अब बड़े नोट तो वैल्यू भी बड़ी। और यही ज्यादा वैल्यू वाले नोट करप्शन को तेजी से बढ़ाने लगे। ब्लैक मनी का चलन तेजी से बढ़ने लगा और अंत में प्रधानमंत्री मोराजी देसाई ने 1978 में दस और पांच हजार के नोटों पर पूरी तरह बैन लगा दिया।